सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह गुरुवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें उन राजनीतिक दलों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है जो सरकारी खजाने से मुफ्त में चीजें देने का वादा करके कथित तौर पर मतदाताओं को लुभाते हैं।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की जिस पर पीठ ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘चुनाव कब खत्म होंगे और वो सब, भूल जाइए। अदालत क्या करेगी, चुनाव रोकेगी? चुनावी रिश्वत हर जगह दी जा रही है। यह हमें पता है। यह किसी एक राज्य की बात नहीं है। आपको अदालत के समक्ष इसे साबित करना होगा।’
हंिदूू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव द्वारा दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि वह पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, सपा, बसपा और आप द्वारा किए गए प्रस्तावों और वादों से पीड़ित हैं। जनहित याचिका में विधानसभा चुनावों में राजनीतिक पार्टियों द्वारा उनकी सरकार बनने पर मतदाताओं और लोगों को मुफ्त में चीजें देने के प्रस्तावों और वादों को चुनौती दी गई है। याचिका में मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस व सपा के सभी प्रत्याशियों और पंजाब में आप के सभी प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया जाए। इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1)(ए) के तहत दलों पर एफआइआर दर्ज हो, क्योंकि उन्होंने खजाने से मुफ्त में उपहार व धनराशि देने का वादा कर वोटरों को लुभाया है।
’>>आज सुनवाई, पार्टियों पर एफआइआर दर्ज करने की मांग
’>>यूपी में कांग्रेस-सपा व पंजाब में आप प्रत्याशी घोषित हों अयोग्य
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