कोरोना काल के बाद जैसे-तैसे धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही शैक्षणिक व्यवस्था विधानसभा चुनाव के चलते फिर से सुस्त पड़ने जा रही है। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने जा रहा है। लेकिन अभी तक पाठ्य पुस्तकों के वितरण तो छोड़िए उनके प्रकाशन की टेंडर प्रक्रिया तक नहीं हो सकी है, जबिक टेंडर प्रक्रिया से लेकर पुस्तकों के प्रकाशन और वितरण में करीब तीन माह का समय लगता है। ऐसे में साफ है कि नया सत्र बेशक एक अप्रैल से शुरू हो जाएगा। लेकिन, नौनिहालों को बिना पाठ्य पुस्तकों के ही स्कूल में पढ़ने को मजबूर होना पड़ेगा।
परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थियों को हर साल पाठ्य पुस्तक और स्कूल ड्रेस, बैग, स्वेटर, जूते-मौजे निशुल्क वितरित किए जाते हैं। नया सत्र लागू होने से तीन माह पहले ही इनके वितरण की तैयारी शुरू हो जाती है। टेंडर प्रक्रिया से लेकर वितरण तक की व्यवस्था में तीन माह का समय लगता है। इस बार विद्यार्थियों का सत्र एक अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। मगर, विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते शासन अभी तक इनको लेकर कोई भी निर्णय नहीं कर पाया है। अधिकारी टकटकी लगाए नई सरकार के गठन का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, अधिकारियों में यह भी डर है कि नई सरकार पूर्व के आदेश को जारी रखती है या फिर उनमें फेरबदल करेगी। मसलन, पिछले वर्ष योगी सरकार ने स्कूल बैग, ड्रेस, जूते-मौजे और सर्दियों में स्वेटर का पैसा अभिभावकों के खातों में सीधे डीबीटी के माध्यम से भेजा था। प्रत्येक बच्चे को 1100 रुपये इनकी एवज में दिए गए थे। इस बार यह आदेश लागू रहेगा या फिर से सिर्फ वस्तुओं का ही वितरण किया जाएगा।
12 बच्चों के अभिभावकों के खाते में नहीं पहुंचा पैसा
स्कूल बैग, ड्रेस, जूते-मौजे और सर्दियों में स्वेटर का पैसा अभिभावकों के खातों में सीधे डीबीटी के माध्यम से भेजने की योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो सकी है। सत्र बीतने को है। मगर, अभी तक 12 हजार बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा नहीं भेजा जा सका है। इनकी सूची जिला स्तर से शासन को भेज दी गई है। प्रत्येक बच्चे को 1100 रुपये इनकी एवज में दिए जाने हैं। जिला स्तर से कुल 2.90 लाख विद्यार्थियों की सूची तैयार की गई थी। बाकी के अभिभावकों के खाते में पैसा जारी हो चुका है।
शासन की ओर से अभी तक ड्रेस, बैग, जूते-मौजे वितरण के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया है। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो जाएगा। शासन के आदेश का इंतजार है।
- सतेंद्र कुमार, बीएसए