Yogi 2.0 Cabinet: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल में बीजेपी ने जातिगत समीकरण का खास ध्यान रखा है. योगी की नई टीम में 21 सवर्ण मंत्रियों को शामिल किया गया है. कैबिनेट में 9 दलित मंत्री बने हैं, जिसमें कैबिनेट में बेबीरानी मौर्य को ही जगह मिली है.
CM योगी की टीम में 52 मंत्री शामिल
सवर्ण, ओबीसी और दलितों को प्रतिनिधित्व
मुस्लिम और सिख को भी दी गई जगह
उत्तर प्रदेश में बीजेपी दोबारा से सत्ता में लौटी और मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा है. योगी कैबिनेट में इस बार ओबीसी कार्ड खेलते हुए दलितों को भी रिझाने की पूरी कोशिश की गई है. इसके अलावा बीजेपी ने अपने कोर वोट बैंक ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय के साथ-साथ जाट और भूमिहारों का भी ख्याल रखा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छोड़कर कुल 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया गया है. सीएम योगी अदित्यनाथ के अलावा 18 कैबिनेट मंत्रियों, 14 राज्यमंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्रियों को भी राज्यपाल आनंदीबेन ने शपथ दिलाई. योगी ने मंत्रिमंडल में ऊंची जातियों के साथ-साथ पिछड़े वर्ग की अतिपिछड़ी जातियों को खास स्थान दिया है तो मुस्लिम और सिख को भी जगह दी गई है.
योगी सरकार के 2.0 के मंत्रिमंडल को अगर जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो कैबिनट में योगी आदित्यनाथ सहित 21 सवर्ण समुदाय को जगह मिली है तो 20 ओबीसी जातियों के नेताओं को मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा दलित समुदाय के 9 मंत्री बनाए गए हैं तो एक मुस्लिम, एक सिख और एक पंजाबी को जगह मिली है. इसके अलावा यादव समुदाय को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है.
21 सवर्ण समुदाय के मंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित मंत्रिमंडल में कुल 21 सवर्ण समुदाय के मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें 7 ब्राह्मण, तीन वैश्य और योगी आदित्यनाथ को मिलाकर 8 ठाकुर मंत्री बनाए गए हैं. इसके अलावा दो भूमिहार और एक कायस्थ को जगह मिली है.
8 ठाकुर मंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा एक कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह को बनाया गया है. वहीं, 3 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री बनाए गए हैं, जिनमें जेपीएस राठौर, दयाशंकर सिंह, दिनेश प्रताप सिंह हैं. 3 राज्यमंत्री बने हैं, जिनमें बृजेश सिंह, मयंकेश्वरण सिंह और सोमेंद्र तोमर हैं.
7 ब्राह्मण मंत्री
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कुल सात ब्राह्मण मंत्री बने हैं, जिसमें तीन कैबिनेट, एक स्वतंत्र प्रभार और 3 राज्यमंत्री बने हैं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बने हैं तो कैबिनेट मंत्री के तौर पर जितिन प्रसाद और योगेंद्र उपाध्याय को जगह मिली है. राज्यमंत्री के रूप में प्रतिभा शुक्ला, रजनी तिवारी, सतीश शर्मा ने शपथ ली है. जबकि दयाशंकर मिश्रा दयालु स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाए गए हैं.
वैश्य-कायस्थ-भूमिहार
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वैश्य समुदाय से तीन मंत्री बने हैं, जिनमें एक कैबिनेट और दो स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री बने हैं. कैबिनेट के तौर पर नंदगोपाल नंदी और स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के रूप में नितिन अग्रवाल और कपिलदेव अग्रवाल की ताजपोशी हुई है. भूमिहार समुदाय से दो कैबिनेट मंत्री सूर्यप्रताप शाही और अरविंद कुमार शर्मा हैं. वहीं, कायस्थ समुदाय से अरुण कुमार सक्सेना स्वतंत्र राज्यमंत्री बनाए गए हैं.
योगी कैबिनेट में 20 ओबीसी मंत्री
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 20 ओबीसी मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें बीजेपी के सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी से एक-एक कैबिनेट मंत्री शामिल हैं. बीजेपी के ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य को अपनी सीट हारने के बाद भी डिप्टी सीएम बनाया गया है. इसके अलावा 8 ओबीसी कैबिनेट मंत्री बने हैं, जिनमें कुर्मी समाज से स्वतंत्र देव सिंह, राकेश सचान और अपना दल कोटे से आशीष पटेल को जगह मिली है. जाट समुदाय से लक्ष्मी नारायण चौधरी और भूपेंद्र सिंह चौधरी कैबिनेट मंत्री बने हैं. इसके अलावा राजभर समाज से अनिल राजभर, निषाद समुदाय से संजय निषाद और लोध समुदाय से धर्मपाल सिंह मंत्री बने हैं.
स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री
योगी सरकार में ओबीसी समुदाय से पांच स्वतंत्र राज्यमंत्री बने हैं, जिनमें लोध समुदाय से संदीप सिंह, निषाद समाज से नरेंद्र कश्यप, यादव समुदाय से गिरीश चंद्र यादव, कुर्मी समुदाय से संजय गंगवार, प्रजापति जाति से धर्मवीर प्रजापति, कलवार समुदाय से रवींद्र जायसवाल मंत्री बने. वहीं, 6 राज्यमंत्री ओबीसी बने हैं, जिनमें गड़रिया समाज से आने वाले अजीत पाल, सैनी समुदाय से जसवंत सैनी, निषाद समाज से रामकेश निषाद, जाट समुदाय से केपी मलिक और तेली समुदाय से राकेश राठौर के जगह दी गई है.
योगी कैबिनेट में 9 दलित मंत्री
योगी सरकार के कैबिनेट में 9 दलित मंत्री बने हैं, जिसमें कैबिनेट के तौर पर महज बेबीरानी मौर्य को जगह मिली है. वे जाटव समुदाय से आती हैं और बीजेपी उन्हें बसपा प्रमुख मायावती के विकल्प के तौर पर आगे बढ़ा रही है. साथ ही जाटव समाज से ही आने वाले असीम अरुण को स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री बनाया गया है. इसके अलावा गुलाब देवी को भी एक बार फिर से मंत्री बनाया गया है. उन्होंने स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है.
वहीं, राज्यमंत्री के तौर पर दिनेश खटिक को फिर से राज्यमंत्री बनाया गया है, उन्हें पिछले कार्यकाल में 2021 में मंत्री बनाया गया था. इसी तरह से संजीव गौड़ को भी दोबारा से राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया है. इसके अलावा सुरेश राही और विजय लक्ष्मी गौतम को भी राज्यमंत्री बनाया गया तो वाल्मीकि समुदाय से आने वाले अनूप प्रधान को जगह मिली है. अनूप प्रधान दोबारा से विधायक बने हैं तो मनोहर लाल मन्नू कोरी फिर से राज्यमंत्री बने हैं.
मुस्लिम-सिख-पंजाबी
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदाय से दो मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय से मोहसिन रजा की जगह दानिश आजाद अंसारी को राज्यमंत्री बनाया गया है तो सिख समुदाय से आने वाले बलदेव सिंह औलख एक बार फिर से राज्यमंत्री बने हैं, तो पंजाब समुदाय से आने वाले बीजेपी के दिग्गज नेता सुरेश खन्ना कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. सुरेश खन्ना 9वीं बार शाहजहांपुर सीट से विधायक बने हैं.
- बीजेपी ने योगी सरकार के 2.0 कैबिनेट के जरिए सामाजिक समीकरण के साथ-साथ राजनीतिक संदेश देने की कवायद की है. बीजेपी ने जिस तरह से कैबिनेट में अपने कोर वोटबैंक के साथ-साथ ओबीसी और दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व दिया है, उससे साफ है कि बीजेपी टीम योगी के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव को साधने की रणनीति पर बढ़ रही है.
- बीजेपी योगी कैबिनेट के जरिए दलित-ओबीसी वोटों को साथ में जोड़े रखना चाहती है तो बसपा के कोर वोटबैंक जाटव को सियासी संदेश देने के लिए बेबी रानी मौर्य को कैबिनेट और असीम अरुण को स्वंतत्र राज्यमंत्री बनाया है.
- इस तरह से बीजेपी की नजर मुस्लिम ओबीसी वोटबैंक पर है, जिसके चलते मोहसिन रजा की जगह दानिश आजाद को मंत्री बनाया गया ताकि मुस्लिम समुदाय के पसमांदा (ओबीसी) वोटबैंक को जोड़ा जा सके. इस तरह से बीजेपी ने तराई बेल्ट के रामपुर से आने वाले सिख समुदाय के बलदेव सिंह औलख को फिर से मंत्री बनाकर सिख वोटरों को सियासी संदेश दिया गया है.
- पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय के बीच आरएलडी और किसान नेता राकेश टिकैट के सियासी प्रभाव की काट के लिए बीजेपी ने जाट समुदाय से तीन मंत्री बनाए हैं, जिनमें दो कैबिनेट और एक स्वतंत्र प्रभार हैं. वहीं मौर्य समुदाय से सिर्फ केशव मौर्य को भेजा गया है. पिछली कैबिनेट से तुलना की जाए तो इस बार उनकी भागीदारी कम ही रही है. पिछली बार तीन मंत्री सरकार में थे, जिनमें एक डिप्टी सीएम केशव ही प्रमुख रूप से नुमाइंदगी कर रहे थे. वहीं कैबिनेट में इस बार गुर्जर समुदाय को जगह नहीं मिल सकी है.