बांदा। आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण को लेकर ग्राम पंचायतें संजीदा नहीं हैं। वित्तीय वर्ष खत्म होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। आठ माह बीतने के बाद भी कार्यक्रम विभाग ग्राम पंचायतों के खाता नंबर उपलब्ध नहीं करा सका। आलम यह है कि अब तक 16 भवनों में एक का भी निर्माण शुरू नहीं हो सका।
जनपद में 1705 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। इनमें सिर्फ 279 के पास ही खुद का भवन है। शेष केंद्र सामुदायिक, परिषदीय विद्यालय व किराए के भवनों में संचालित हैं। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में शासन ने जनपद में 16 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति दी थी। प्रति भवन 8 लाख 6 हजार रुपये मंजूर हुए थे।
भवन निर्माण के लिए जिला कार्यक्रम विभाग ने आरईएस को 32 लाख रुपये जारी कर दिए। लेकिन आरईएस ने धनराशि कम होने पर भवन निर्माण से हाथ खड़े कर दिए। पिछले वर्ष जुलाई माह में जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायतों को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए पैसा हस्तांतरण के आदेश दिए थे।
जिला कार्यक्रम विभाग ने डीपीआरओ को ग्राम पंचायतों का खाता नंबर उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा, लेकिन आठ माह से अधिक समय बीतने के बाद भी पंचायती राज विभाग को कार्यक्रम विभाग ग्राम पंचायतों का खाता नंबर उपलब्ध नहीं करा सका। नतीजतन अब तक एक भी भवन का निर्माण पूरा नहीं हो सका।
मार्च माह में पैसा सरेंडर हो जाएगा। ऐसे में भवनों का निर्माण भी अधर में लटक जाएगा। जिला परियोजना प्रबंधक, जिला पंचायत राज कार्यालय वंशबहादुर ने कहा कि ग्राम पंचायतों के खाते व्यक्तिगत निधियों के लिए होते हैं। आंगनबाड़ी का पैसा लेने का कोई प्राविधान नहीं है। शासन से खाता नंबर देने के लिए मार्ग दर्शन मांगा गया है।
यहां बनने हैं आंगनबाड़ी भवन-
ब्लाक बड़ोखर के बक्छा, फुल्ला पुरवा, कमासिन के लखनपुर, बिनवट, महुआ के तरखरी, छितारी का पुरवा, तिंदवारी में हुकुम सिंह का डेरा, दतरौली, बबेरू में शिवनंदन का पुरवा, नरैनी में बनई गौतमपुर, मूूड़ी, बिसंडा के सिकलोढ़ी, डडिय़न पुरवा, जसपुरा ब्लाक के सिकहुला, सोना मऊ व बरेहटा।
भवन निर्माण में मनरेगा का 3 लाख
आंगनबाड़ी भवन निर्माण की लागत 8 लाख 6 हजार रुपये निर्धारित है। इसमें मनरेगा के 3 लाख रुपये भी खर्च होंगे। दो लाख जिला कार्यक्रम विभाग व 1 लाख 6 हजार ग्राम पंचायतों को खर्च करना होगा।