केंद्रीय विद्यालयों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र पांच से बढ़ाकर छह साल किए जाने के अपने फैसले को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने उच्च न्यायालय में सही ठहराया है। केवीएस ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र 6 साल करने का फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के प्रावधानों के अनुरूप किया है।
जस्टिस रेखा पल्ली के समक्ष दाखिल हलफनामे में केवीएस ने कहा है कि ‘शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छह से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार ने इस मसले पर गहन विचार विमर्श के के बाद एनईपी 2020 को अधिसूचित किया है, जिसमें शैक्षणिक और पाठ्यचर्या पुनर्गठन की एक नई योजना लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा मार्च, 2021 में सभी राज्यों को लिखे गए पत्र का हवाला दिया है जिसमें अगले 2 से तीन साल में एनईपी को लागू करने का रोड मैप तैयार करने को कहा गया है। साथ ही सरकार द्वारा केवीएस को लिखे गए पत्र भी हवाला दिया है। केवीएस ने न्यायालय में यह हलफनामा पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र पांच से बढ़ाकर छह साल किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका के जवाब में दिया है। केवीएस ने बच्ची की आोर से उम्रसीमा बढ़ाने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करने की मांग की है।
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केंद्रीय विद्यालय में पहली कक्षा में दाखिले का इंतजार कर रही बच्ची आरिन की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने केवीएस द्वारा पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्रसीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल किए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में अचानक लिए गए केवीएस के इस निर्णय को मनमाना, अतार्किक और अनुचित बताते हुए रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा है कि याचिकाकर्ता की उम्र 5 साल नौ माह 28 दिन की है और वह अभी यूकेजी में पढ़ रही है और इस साल पहली कक्षा में दाखिला लेने का इंतजार कर रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि केवीएस सरकार द्वारा महज पत्र भेजे जाने के आधार पर दाखिले की उम्र नहीं बढ़ा सकती। उन्होंने कहा है कि जबतक केंद्र या राज्य सरकार कानून में दाखिले की उम्र तय नहीं कर देती तब तक केवीएस को उम्र नहीं बढ़ाना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि केवीएस अपने हलफनामे में कह रहा है कि आरटीई एक्ट में दाखिले की उम्र छह साल है, जबकि अब तक 5 साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों को इस कानून के तहत दाखिला मिला है। मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी।
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