मऊ। वित्तीय सत्र में 38 दिन शेष हैं, लेकिन जिले के अधिकांश परिषदीय विद्यालयों के खाते में कंपोजिट ग्रांट नहीं पहुंची है। इसके चलते भवनों की रंगाई पुताई सहित अन्य कार्य बजट के अभाव में अटके हैं। जबकि अधिकारी इसे बैंक की तकनीकी गड़बड़ी बता रहे हैं।
जिले में 1508 परिषदीय विद्यालय हैं। इन्हें शासन की तरफ से धनराशि दी जाती है। 100 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को 25 हजार 200 छात्र संख्या वाले
स्कूलों को 50 हजार और 300 छात्र संख्या वाले स्कूलों को एक लाख रुपये दिए जाते हैं। इसमें स्कूल की मरम्मत जैसे जर्जर टायलेट ठीक कराना, पानी की व्यवस्था, फर्नीचर आदि के काम होते हैं। ग्राट से पाच हजार रुपये स्वच्छता के लिए अनिवार्य रूप से खर्च किया जाना है। लेकिन अधिकांश विद्यालयों के खाते में (कंपोजिट ग्रांट की धनराशि नहीं पहुंची है। ऐसे में प्रधानाध्यापक बीआरसी से लेकर बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक तथा पूर्वांचल बैंक का विलय होने के बाद बैंकिंग तकनीकी गड़बड़ी से खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है।
सहायक चित्त व लेखाधिकारी बेसिक मनोज तिवारी ने बताया कि विभाग से विद्यालयों के खाते में कंपोजिट ग्रांट जारी कर दी गई है। बैंक में तकनीकी गड़बड़ी की वजह से धनराशि ट्रांसफर नहीं हो सकी है।