आज के सभी अख़बारों ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के आईपीओ के शेयर बाज़ार में आने की ख़बर प्रमुखता से प्रकाशित की है.
कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक द टेलीग्राफ़ ने लिखा है कि जिस एलआईसी को सभी 'सभी पूंजियों की जननी' कहा जाता था, उससे पर्दा उठ गया है.
एलआईसी ने अपने आईपीओ को शेयर बाज़ार में लाने के लिए रविवार को दस्तावेज़ों का मसौदा (डीआरएचपी) पूंजी बाज़ार नियामक सेबी को सौंप दिया है.
इस मसौदे के अनुसार, सरकार एलआईसी के 31.6 करोड़ से अधिक इक्विटी शेयर बेचेगी. एलआईसी पाँच प्रतिशत शेयर बेचकर क़रीब 63 हज़ार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है.
सरकार के पास एलआईसी के 100 फ़ीसदी शेयर हैं, इसलिए बिक्री पेशकश के ज़रिए ही निवेशकों को शेयर आवंटित किए जाएंगे. सरकार का लक्ष्य इसी वित्त वर्ष के अंत तक एलआईसी को शेयर बाज़ार में सूचिबद्ध कराने का है.टेलीग्राफ़ ने लिखा है कि इस दस्तावेज़ मसौदे को पहले सेबी मंज़ूरी देगी. दस्तावेज़ में आईपीओं के शेयर बाज़ार में आने के समय और मूल्य की कोई जानकारी नहीं दी गई है. इस महीने की शुरुआत में जब आम बजट पेश किया गया तो उसमें सरकार ने विनिवेश के अनुमान में नाटकीय कटौती की थी.
विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ से घटाकर 78,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था. इसे लेकर शक़ पैदा हो रहा है कि क्या एलआईसी का आईपीओ मार्च के अंत तक आएगा या नहीं. एलआईसी पर इस फ़ैसले से संकेत मिल रहा है कि सरकार विनिवेश की प्रक्रिया तेज़ करना चाहती है.
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्वीट कर कहा कि एलआईसी के आईपीओ के लिए डीआरएचपी रविवार को सेबी के पास दाख़िल कर दिया गया है.
दाख़िल किए गए आवेदन के मुताबिक़ कंपनी की एंबेडेड वैल्यू 71.56 अरब डॉलर है. मसौदे में कंपनी के मार्केट वेल्युएशन के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन बीमा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक़ यह एंबेडेड वैल्यू तीन गुना यानी 16 लाख करोड़ हो सकती है.
आईपीओ का एक हिस्सा एंकर निवेशकों के लिए सुरक्षित रहेगा. साथ ही 10 फ़ीसदी हिस्सा बीमाधारकों के लिए सुरक्षित रहेगा. हालांकि अभी यह पता नहीं चला है कि कंपनी अपने पॉलिसीधारकों और कर्मचारियों को शेयर ख़रीदने में क्या छूट देगी.
सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ को संपन्न कराने के लिए पिछले साल सितंबर में 10 मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की थी. इनमें गोल्डमैन शैक्स, सिटी ग्रुप और नोमुरा भी शामिल हैं. वहीं क़ानूनी सलाहकार के तौर पर सिरिल अमरचंद मंगलदास को नामित किया गया है.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू के अनुसार, तुहिन कांत पांडे ने कहा है कि 31 मार्च 2021 तक एलआईसी के पास 28.3 करोड़ बीमा और 10.35 लाख एजेंटों के साथ नए व्यापार प्रीमियम में 66% बाज़ार की हिस्सेदारी थी.
टेलीग्राफ़ ने लिखा है, ''एलआईसी के शेयर बाज़ार में आने को पर्यवेक्षक अरामको के आईने में भी देख रहे हैं. अरामको सऊदी अरब की तेल कंपनी है और उसने 2019 के अंत में आईपीओ लाकर 29.4 अरब डॉलर की रक़म जुटाई थी. इसे दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ कहा गया था. संयोग से सऊदी की इस कंपनी ने चार प्रतिशत और शेयर वहां के सॉवरेन फ़ंड में ट्रांसफर किया था. इससे 80 अरब डॉलर और जुटाया गया था.
एलआईसी के बारे में कहा जा रहा है कि वो डिज़िटल पेमेंट ऐप पेटीएम के 18,300 करोड़ की रक़म को आसानी से पीछे छोड़ देगी. हालांकि कोविड महामारी के कारण 2020 में व्यक्तिगत बीमा की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई थी.
साल 1956 में जब भारत में जीवन बीमा से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों के राष्ट्रीयकरण के लिए एलआईसी एक्ट लाया गया था, तब इसका अंदाज़ा कम ही लोगों को रहा होगा कि एक दिन एलआईसी ख़ुद भी बाज़ार में आएगी.
साल 2015 में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) के आईपीओ के वक़्त भारतीय जीवन बीमा निगम ने 1.4 अरब डॉलर की रक़म लगाई थी. चार साल बाद जब ख़राब क़र्ज़ों से जूझ रही आईडीबीआई बैंक को उबारने की बात आई तो एलआईसी ने एक बार फिर अपनी झोली खोल दी थी.