अबकी बार मतगणना में कम समय लगेगा। वजह यह है कि नए सॉफ्टवेयर 'इनकोर' के जरिए ईवीएम में पड़े मतों की गिनती की जाएगी। पूर्व की व्यवस्था में पहले जिला निर्वाचन अधिकारी के पास प्रत्येक राउंड की शीट जाती थी।
इसके बाद चुनाव आयोग तक पहुंचती थी। अब सॉफ्टवेयर में उसी समय नतीजे दर्ज करने की व्यवस्था दी गई है। सभी विधानसभा के रिटर्निंग अफसरों और सहायक रिटर्निंग अफसरों को इसके लिए जनवरी माह में प्रशिक्षण दिया गया था।
चुनाव से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं इसी सॉफ्टवेयर के जरिए आगे बढ़ रही हैं। प्रत्येक टेबल से इसी सॉफ्टवेयर में नतीजे दर्ज होते जाएंगे। मतगणना स्थल की प्रत्येक गतिविधि निर्वाचन आयोग के कम्प्यूटरों पर दर्ज होती रहेगी। जिला निर्वाचन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस बार प्रक्रिया को ऐसा बनाया गया है कि नतीजे मिलने में देरी न होने पाए।
मतगणनाः हर विधानसभा के लिए लगेंगी 14 टेबल
मतगणना के लिए मूल रूप से प्रत्येक विधानसभा के लिए 14 टेबल होंगी। प्रत्येक पर चार-चार कर्मचारी होंगे। इसके अलावा दो आरओ टेबल होंगी जहां चार चार कर्मी होंगे। प्रत्येक विधान सभा में 74 के करीब कार्मिक तैनात रहेंगे। वहीं, पोस्टल बैलेट इस बार 11 हजार से अधिक हैं। बाहर तैनात कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट भी गिनती के लिए अलग कार्मिक होंगे। इस तरह करीब 720 कर्मचारी मतगणना में तैनात किए जाएंगे जिनमें रिर्जव के भी शामिल हैं।