उज्जैन : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने कहा कि मनुष्य को केवल साक्षर बना देना ही शिक्षा नहीं है। यहां विद्या भारती के प्रशिक्षण केंद्र का लोकार्पण करने के दौरान उन्होंने कहा कि देश में नई शिक्षा नीति इसलिए लाई गई है कि हम मनुष्य को उपयोगी तत्व बना सकें, उपद्रवी नहीं। 22 करोड़ रुपये की लागत से बने इस भवन में हर साल करीब 22 हजार शिक्षकों को आधुनिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यहां विद्या भारती का प्रांतीय कार्यालय भी संचालित होगा। पूरे प्रांत से नगर, ग्रामीण, वनवासी और जनजातीय क्षेत्र के शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने आएंगे। लोकार्पण समारोह के अवसर पर डा. भागवत ने कहा कि आचार्यों के सुधार से ही शिक्षा का सुधार होगा। उन्हें खुद में बदलाव लाना होगा। बच्चों को उनके स्तर (निचले से निचले) तक जाकर सिखाना होगा। हम एक तरह की मानसिक जकड़न में भी हैं। मातृभाषा में पढ़ाई हो, इसका प्रस्ताव भी अंग्रेजी में समझाना पड़ता है। ऐसी जकड़नों से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा कि केवल जीवन को सुखी बनाने के लिए दी जाने वाली शिक्षा, शिक्षा नहीं। इसके लिए इतने उद्यम की आवश्यकता भी नहीं। इतना तो पशु-पक्षी भी कर लेते हैं।