खुले शिक्षा के मंदिरों के द्वार, अध्यापक दिन भर करते रहे विद्यार्थियों का इंतजार

 

लगभग डेढ़ माह बाद खुले जिले के ज्यादातर स्कूलों में 10 फीसदी भी नहीं रही विद्यार्थियों की उपस्थिति 
मंझनपुर/नेवादा कोरोना संक्रमण की बढ़ी रफ्तार के कारण बंद किए गए परिषदीय स्कूल सोमवार से खुल गए। लगभग डेढ़ माह के लंबे अंतराल के बाद स्कूल तो खुले, लेकिन वहां बच्चों की उपस्थिति 10 फीसदी से भी कम रही। पूरे दिन अध्यापक स्कूल में रहकर बच्चों के आने की बाट जोहते रहे कुछ विद्यालयों के अध्यापक गांव में बच्चों के घर तक उन्हें बुलाने के लिए गए।

कोरोना संक्रमण के कारण 31 दिसंबर को शासन ने कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया था। इस दौरान सिर्फ अध्यापक ही स्कूल पहुंच कर मोहल्ला कक्षाओं का संचालन करते थे। अब संक्रमण की रफ्तार धमी तो स्कूल खोलने का करने का आदेश हुआ। करीब डेढ़ माह बाद स्कूल खुले तो पहले दिन सन्नाटा पसरा रहा। अध्यापक स्कूल तो पहुंचे लेकिन छात्र-छात्राओं को उपस्थिति काफी कम रही जिलाधिकारी आवास के पास स्थित प्राथमिक विद्यालय बंथुरा में 152 बच्चों का पंजीकरण था इसके सापेक्ष सिर्फ 25 बच्चे आए थे प्राथमिक विद्यालय भहंसर का भी
यही हाल रहा। यहां पंजीकृत 102 बच्चों के सापेक्ष सिर्फ 23 बच्चे ही उपस्थित थे। नवा नगर प्रथम के स्कूल में 199 बच्चों के मापेक्ष 43 छात्र ही पहुंचे। नेवादा विकास खंड के कंपोजिट विद्यालय तिल्हापुर में 625 बच्चों का पंजीकरण है। यहां पर भी 32 बच्चे मौजूद रहे। स्कूल पहुंचे सभी बच्चों को एक हो कक्षा में बिठाया गया था। कंपोजिट विद्यालय धारूपुर में भी 213 बच्चों के सापेक्ष एक भी विद्यार्थी नहीं पहुंचा कंपोजिट विद्यालय हसनपुर में 389 विद्यार्थियों के सापेक्ष सिर्फ 43 बच्चे ही स्कूल आए थे। 
बच्चों के स्वागत के लिए सजाया गया स्कूल
मंझनपुर प्राथमिक विद्यालय टेवा में बच्चों के स्वागत के लिए स्कूल को फूल और गुरुवारों से सा गया था। इसके अलावा स्कूल के प्रवेश द्वार पर रंगोली के जरिए बैलकम लिखा गया था। विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश कुमार, शिक्षक अजय श्रीवास्तव, मनमोहन मायादेवी रोशन लाल ने स्कूल पहुंचे बच्चों को कोरोना गाइड लाइन का पालन कराते हुए पहले साबुन से हाथ धुलवार फिर कक्षा में प्रवेश दिया। 
बच्चों को घर से बुलाने पहुंचे अध्यापक
कंपोजिट विद्यालय नेवादा में सोमवार सुबह 10 बजे तक एक भी विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचा था। यहां सारे मौजूद थे। बाद में अध्यापकों ने गांव में अभिभावकों से संपर्क कर मंगलवार से हर हाल में बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा।
नहीं हुआ कोराना गाइड लाइन का पालन
जिन स्कूलों में विद्यार्थी पहुंचे भी थे वहां पर कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं कराया गया। स्कूल पहुंचे बच्चों ने मास्क नहीं लगाए थे। इसके अलावा स्कूलों में भी सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था नहीं दिखी।