नई दिल्ली: एक कक्षा और एक पाठ्यक्रम… इसके मद्देनजर निजी और सरकारी स्कूलों के बीच बंटी स्कूली शिक्षा को अब एक जैसा स्वरूप देने की बड़ी पहल की गई है। इसमें निजी और सरकारी स्कूल अब एक साथ मिलकर स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। इसके तहत वह एक दूसरे की सभी अच्छी पहलकदमियों को अपनाएंगे। साथ ही एक दूसरे के संसाधनों का भी इस्तेमाल कर सकेंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने उठाया कदम
नई पहल के तहत अब प्रत्येक निजी स्कूल को अपने आसपास के कम से कम एक सरकारी स्कूल के साथ जुड़ाव रखना होगा। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के साथ निजी एवं सरकारी स्कूलों के बीच की खाई को पाटने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। इसके तहत सभी राज्यों को इस संबंध में एक गाइड लाइन तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
2023 का रखा लक्ष्य
इस पहल को वर्ष 2023 तक पूरी तरह से अमल में लाने का लक्ष्य तय किया है। मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में स्कूली शिक्षा में निजी और सरकारी स्कूलों के बीच एक बड़ा अंतर दिखता है जबकि सभी में एक जैसा ही कोर्स पढ़ाया जाता है। यह बात अलग है कि निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के पास संसाधन कम है।
निजी और सरकारी स्कूलों के बीच जुड़ाव बढ़ाने की पहल
खासकर सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला, पुस्तकालय सहित प्रशिक्षण की सुविधाएं नहीं है। ऐसे में सरकार ने निजी और सरकारी स्कूलों के बीच जुड़ाव बढ़ाने की पहल की है। माना जा रहा है कि इस पहल से निजी और सरकारी स्कूलों दोनों को लाभ होगा। निजी स्कूल खेलकूद जैसी गतिविधियों के लिए सरकारी स्कूलों के खेल मैदान आदि का इस्तेमाल कर सकेंगे।
एकरूपता लाने की सिफारिश
खासबात यह है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के साथ निजी और सरकारी स्कूलों के बीच एकरूपता लाने की सिफारिश की गई है। यही वजह है कि शिक्षा मंत्रालय ने इसे अब अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। साथ ही इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया है।
सामूहिक गतिविधियों का होगा आयोजन
इस दौरान निजी एवं सरकारी स्कूलों ने अपनी अच्छी पहलों को एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे। इसके साथ ही एक- दूसरे स्कूलों के बच्चे भी एक-दूसरे के परिसरों का भ्रमण करेंगे। सामूहिक गतिविधियों का आयोजन करेंगे जिसमें खेल सहित दूसरी प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताएं शामिल होंगी।
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