सहारनपुर। परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सितंबर 2019 में शुरू हुआ मिशन प्रेरणा कोरोना की वजह से अपने लक्ष्यों से भटक गया है। प्रत्येक कक्षा के अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। लक्ष्यों की पूर्ति करके विद्यालय को प्रेरक बनाया जाना था। इसके बाद सभी विकास खंडों को प्रेरक बनाया जाना था, जिसके आधार पर जनपद को प्रेरक घोषित किया जाना था। मिशन मार्च 2022 तक पूर्ण होना था। वर्तमान में फरवरी माह चल रहा है और अभी तक मिशन के लक्ष्यों को 30 फीसदी भी प्राप्त नहीं किया जा सका है। ऐसे में शिक्षकों के साथ ही विभागीय अधिकारी भी मिशन से मन फेर चुके हैं। पेश है रिपोर्ट...
भाषा के लिए यह हैं प्रेरणा लक्ष्य
-कक्षा एक - दी हुई प्रेरणा सूची से छात्र पांच अक्षर पहचान लेते हैं।
-कक्षा दो - अनुच्छेद को 20 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेते हैं।
-कक्षा तीन - अनुच्छेद को 30 शब्द प्रति मिनट की प्रवाह से पढ़ लेते हैं।
-कक्षा चार - छोटे अनुच्छेद को पढ़कर उनसे पूछे जाने वाले 75 फीसदी प्रश्नों का सही उत्तर देते हैं।
-कक्षा पांच - बड़े अनुच्छेद को पढ़कर उनसे पूछे जाने वाले 75 फीसदी प्रश्नों के सही उत्तर देते हैं।
गणित के लिए यह हैं प्रेरणा के लक्ष्य
-कक्षा एक - दी हुई प्रेरणा सूची में से 5 संख्याएं छात्र पहचान लेते हैं।
-कक्षा दो - जोड़ और घटाने के (एक अंकीय) के सवालों को 75 फीसदी सही हल कर लेते हैं।
-कक्षा तीन - जोड़ और घटाने (हासिल वाले) के सवालों को 75 फीसदी सही हल कर लेते हैं।
-कक्षा चार - गुणा के 75 फीसदी प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं।
-कक्षा पांच - भाग के 75 फीसदी प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं।
कोरोना के कारण बीते दो साल से पढ़ाई सुचारु रूप से नहीं चल पा रही है। विद्यार्थियों ने कोरोना के आने से पहले जो सीखा था ज्यादातर छात्र उसे भी भूल गए हैं। मिशन प्रेरणा मार्च 2022 तक पूर्ण होना था, लेकिन नहीं हो सका है। फिलहाल मिशन को लेकर बेसिक शिक्षा परिषद से कोई नया आदेश नहीं प्राप्त हुआ है। जैसे भी आदेश होंगे उनका अनुपालन कराया जाएगा।
अंबरीष कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।