आखिरकार प्राथमिक विद्यालयों की 69000 शिक्षक भर्ती के 6800 अभ्यर्थियों का चयन फंस गया है। बेसिक शिक्षा विभाग लंबे समय से प्रतियोगियों की ये मांग खारिज कर रहा था कि 69000 भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल होने वालों को 68500 शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। प्रकरण तूल पकड़ने पर विभाग ने उसी दिशा में कदम बढ़ाया, जिसे वह नियमानुसार गलत ठहरा रहा था। अब कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि तय पदों से अधिक पर भर्ती नहीं कर सकते, ऐसे में पांच जनवरी को जारी अनंतिम चयन सूची के अभ्यर्थियों की नियुक्ति लटक गई है।
असल में, 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या एक लाख, 46 हजार रही है। उनमें से करीब 68 हजार से अधिक को नियुक्ति मिल चुकी है। इससे अधिक अभ्यर्थी नौकरी पाने के लिए छह माह से मांग कर रहे थे कि उन्हें 68 हजार, 500 शिक्षक भर्ती के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। उनका तर्क था कि शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करने के बाद 1.37 लाख पदों पर चयन का आदेश दिया था। दोनों भर्तियों के पद शिक्षामित्रों से ही खाली हुए हैं।
विभाग ने पहले इसे ये कहकर दरकिनार किया कि दोनों की अर्हता, उत्तीर्ण प्रतिशत, दावेदारों की संख्या आदि में अंतर है इसलिए यह करना संभव नहीं है। दिसंबर माह में मामला तूल पकड़ने पर विभाग ने चयन में विसंगति होना स्वीकार किया और पांच जनवरी को 6800 आरक्षित अभ्यर्थियों की अनंतिम चयन सूची जारी कर दी। तैयारी थी कि अब 68 हजार, 500 भर्ती के रिक्त पदों पर नव चयनित 6,800 को तैनाती दी जाए साथ ही शेष रिक्त पदों पर नया विज्ञापन निकाला जाएगा।
ज्ञात हो कि बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा था कि जिनका चयन विसंगति की वजह से नहीं हो सका उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति देंगे और 17000 पदों पर नई भर्ती निकालेंगे। उल्लेखनीय है कि 68500 शिक्षक भर्ती में रिक्त पदों की संख्या करीब 23 हजार के आसपास रही है। कोर्ट के आदेश से अब भर्ती में गलत तरीके से चयन पाने वालों को बाहर करके ही नया चयन किया जा सकता है। विभाग कोर्ट के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है, सुनवाई अगले माह होनी है। नव चयनितों का अभी जिला आवंटन व काउंसिलिंग नहीं हो सकी है साथ ही विभाग ने इस मामले में अब तक किसी अधिकारी पर कार्रवाई भी नहीं की है।