नई दिल्ली: जीवन बीमा क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के आइपीओ से ठीक पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को एक अहम कदम उठाते हुए इस कंपनी में आटोमोटिक रास्ते से 20 प्रतिशत एफडीआइ की अनुमति दे दी है। सरकार का मानना है कि इस कदम वैश्विक बाजार में जिस तरह की अनिश्चितता बनी है उसे देखते हुए एलआइसी के शेयरों के सही भाव मिलने में मदद होगी। इससे सरकार के लिए विनिवेश का लक्ष्य हासिल करना आसान होगा। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया है। एलआइसी अधिनियम, 1956 में एफडीआइ की सीमा तय करने को लेकर आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 78 हजार करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे हासिल करने के लिए एलआइसी का आइपीओ सबसे अहम होगा, क्योंकि सरकार को उम्मीद है कि इससे कम से कम 60 हजार करोड़ रुपये की राशि जुटाई जा सकती है। आइपीओ में विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं थी, जब कई विदेशी संस्थानों ने इस प्रक्रिया में शामिल होने की इच्छा जताई थी। दरअसल, विदेशी निवेश को आटोमेटिक और सरकारी रास्ते से मंजूरी दी जाती है। आटोमेटिक रूट का मतलब यह हुआ कि इसके लिए आरबीआइ, सरकार या दूसरी नियामक एजेंसी से पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती। इस तरह से एलआइसी में 20 प्रतिशत तक का विदेशी निवेश बगैर किसी नियामक बाधा के लाया जा सकेगा। यह पहला मौका है कि जब सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी में एफडीआइ को मंजूरी दी गई है।