इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव में पीठासीन अधिकारियों के ऑनलाइन प्रशिक्षण की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दयालबाग शिक्षण संस्थान की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने गत दिवस प्रारंभिक सुनवाई पर पूछा था कि जिनका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर है, उनके प्रशिक्षण से घर लौटने पर परिवार को संक्रमण का खतरा है। ऐसे में क्या ऑनलाइन प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता?
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडे ने कोर्ट को आयोग की ओर से प्रशिक्षण के लिए किए गए इंतजाम की जानकारी दी। कहा कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता प्रथम जेएन मौर्य ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने डॉक्टरों का पैनल तैयार किया है, जो बीमार लोगों की जांच कर रिपोर्ट देगा। साथ ही जिला निर्वाचन अधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वह ड्यूटी से छूट दे सकता है।
वैसे भी 24 व 25 जनवरी को जो लोग प्रशिक्षण ले नहीं सकेंगे। उनके लिए 29 जनवरी को विशेष व्यवस्था के तहत प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। यह भी बताया कि ईवीएम के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना है, जो ऑनलाइन नहीं दिया जा सकता। व्यक्तिगत उपस्थित होकर ईवीएम की जानकारी प्राप्त करना जरूरी है। इस पर कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि 324 में से 194 लोगों को 24 व 25 जनवरी को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है। इन 194 में कुछ लोग ऐसी बीमारी से ग्रस्त हैं, जिससे उन्हें कोरोना संक्रमित होने की अधिक संभावना है। यदि ये संक्रमण लेकर घर वापस गए तो परिवार के हित में नहीं होगा। कहा गया कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन के खंड 40 में लिखा है कि चुनाव अधिकारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा सकता है।