नई शिक्षा नीति के तहत सत्र 2023 में नर्सरी से जमा दो तक पाठ्यक्रम में बदलाव हो जाएगा। पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए तीन स्तर पर कार्य चल रहा है। प्रथम चरण में प्रदेश की सभी जिला डाइट चार पोजिशन पेपर पर कार्य कर रही हैं। इसके आधार पर फरवरी 2022 में एससीईआरटी 25 पोजिशन पेपर तैयार कर अप्रैल में स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क पूरा कर लेगी। इसके बाद नेशनल काउंसिल फॉर एजूकेशन एंड ट्रेनिंग स्टेट करिकुलम के आधार पर एनसीएफ तैयार करेगी। इस आधार पर पाठ्यक्रम तैयार होगा। कोविड के बीच नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव करने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की रट्टा शिक्षा खत्म करना है।
पाठ्यपुस्तकों में बदलाव करते हुए ध्यान रखा जा रहा है कि पुस्तकों में किताबी ज्ञान के साथ रचनात्मक सोच, जीवन से जुड़े कौशल, प्रदेश संस्कृति, कला सहित अन्य तकनीकी शिक्षा शामिल की जा रही है। स्टेट काउंसिल ऑफ एजूकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) सोलन इसका जिलास्तर से मसौदा तैयार कर रही। अप्रैल तक प्रस्ताव तैयार कर एनसीईआरटी दिल्ली को भेजा जाएगा। स्कूलों का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी तय करती है। नए सिलेबस में प्रदेश की लोक संस्कृति और इतिहास आदि को भी शामिल करेगी। इसके लिए जिला और राज्यस्तर पर कमेटियों का भी गठन किया गया है।
इस आधार पर तैयार हो रहा विषयएससीएफ के प्रदेश नोडल अधिकारी जगदेव चंद शर्मा ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में दस प्लस दो के स्थान पर पांच प्लस तीन प्लस तीन प्लस चार फॉर्मेट को शामिल किया जाएगा। पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल को तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फाऊंडेशन स्टेज शामिल होंगी। इसके बाद कक्षा तीन से पांच के तीन साल शामिल हैं। यानी, छठी से आठवीं तक की कक्षाएं। चौथी स्टेज कक्षा नौवीं से जमा दो तक के चार साल होंगे। पहले 11वीं से विषय चुनने की आजादी थी, अब यह आठवीं कक्षा से रहेगी। शिक्षण के माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का प्रयोग किया जाएगा।जिला और प्रदेश स्तर पर चल रहा कार्य: रीटा शर्माप्रिंसिपल प्रदेश एससीईआरटी सोलन रीटा शर्मा ने बताया कि पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर कार्य किया जा रहा है। अप्रैल में तैयार एससीएम एनसीईआरटी को सौंपा जाएगा।
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