पदोन्नति में आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद शनिवार को आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति संयोजक मंडल की एक प्रांतीय बैठक हुई, जिसमें आरक्षण समर्थक कार्मिकों ने फिर एक बार सभी राजनीतिक पार्टियों से पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने की गुहार लगाई।
कहा कि प्रदेश के आठ लाख आरक्षण समर्थक कार्मिक और उनके नाते-रिश्तेदार जिनकी कुल लगभग 40 लाख से ज्यादा संख्या है, वह वोट की चोट से अपना हिसाब बराबर करेंगे। अभी भी समय है कि 85 बनाम 15 की बात करने वाले अपने चेहरे से नकाब हटाएं और सीधे तौर पर दलित और पिछड़े वर्ग के कार्मिकों के हित में अपना एजेंडा साफ करें। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने विधानसभा की सभी 86 आरक्षित सीटों पर गठित कमेटियों को निर्देश दिया है कि वह जल्द उन प्रत्याशियों की सूची संयोजक मंडल को भेजें, जो प्रत्याशी उन्हें आरक्षण समर्थक लगते हैं, जिससे आने वाले समय में वोट की चोट से आरक्षण समर्थक जनप्रतिनिधि चुनकर अपने अधिकारों को सुरक्षित करा सकें।