लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान सभा चुनाव से ठीक पहले गुरुवार को बड़ा दांव चलते हुए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा सरकार बनने पर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करेंगे। इस वादे को सपा ने अपने घोषणा पत्र में शामिल कर लिया है। पुरानी पेंशन बहाली का फायदा 12 लाख से अधिक शिक्षक, कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलेगा।
अखिलेश ने आउटसोर्सिंग व ठेका प्रथा पर भी करारा प्रहार करते हुए कहा यह अच्छी प्रथा नहीं है। इससे शोषण हो रहा है और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के बनाए गए संविधान की अवहेलना हो रही है। सपा प्रदेश मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में अखिलेश ने कहा कि सरकार बनने पर यश भारती सम्मान फिर शुरू किया जाएगा। इस बार जिला स्तर पर नगर भारती सम्मान दिया जाएगा। वहीं, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को उनके गृह जनपद के पास तैनाती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है इसलिए हमने वादा करने से पहले इसे कैसे लागू किया जा सकता है उस पर वित्तीय जानकारों से चर्चा की है। इसके बाद घोषणा की है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है इसलिए निजीकरण व आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए टैबलेट खराब होने पर कहा कि इसमें घोटाला हुआ है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि नौकरी और रोजगार पर सपा का फोकस होगा। हमारी सरकार ने 18 लाख से अधिक युवाओं को लैपटाप दिए गए थे, इनमें से ज्यादातर अपना रोजगार कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि कोरोना वायरस के बाद अब अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आए, इस पर विचार की जरूरत है। प्रगतिशील सरकार होगी तभी खुशहाली आएगी। फिजिकल रैली का मुकाबला नहीं कर सकती वर्चुअल : अखिलेश ने कहा कि फिजिकल रैली का मुकाबला वर्चुअल रैली नहीं कर सकती है। अभी तो वर्चुअल रैली की शुरुआत हुई है। धीरे धीरे ही इसका असर नजर आएगा। दलबदल के प्रश्न पर उन्होंने एमएलसी बुक्कल नवाब का नाम लिए बिना कहा कि एक एमएलसी को इतना दबाया कि वे हनुमान चालीसा पढ़ने लगे, बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। हो सकता है हमारी सरकार आने पर अगली ईद में वे हमारे साथ दिखें।
अखिलेश ने आउटसोर्सिंग व ठेका प्रथा पर भी करारा प्रहार करते हुए कहा यह अच्छी प्रथा नहीं है। इससे शोषण हो रहा है और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के बनाए गए संविधान की अवहेलना हो रही है। सपा प्रदेश मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में अखिलेश ने कहा कि सरकार बनने पर यश भारती सम्मान फिर शुरू किया जाएगा। इस बार जिला स्तर पर नगर भारती सम्मान दिया जाएगा। वहीं, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को उनके गृह जनपद के पास तैनाती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है इसलिए हमने वादा करने से पहले इसे कैसे लागू किया जा सकता है उस पर वित्तीय जानकारों से चर्चा की है। इसके बाद घोषणा की है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है इसलिए निजीकरण व आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए टैबलेट खराब होने पर कहा कि इसमें घोटाला हुआ है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि नौकरी और रोजगार पर सपा का फोकस होगा। हमारी सरकार ने 18 लाख से अधिक युवाओं को लैपटाप दिए गए थे, इनमें से ज्यादातर अपना रोजगार कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि कोरोना वायरस के बाद अब अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आए, इस पर विचार की जरूरत है। प्रगतिशील सरकार होगी तभी खुशहाली आएगी। फिजिकल रैली का मुकाबला नहीं कर सकती वर्चुअल : अखिलेश ने कहा कि फिजिकल रैली का मुकाबला वर्चुअल रैली नहीं कर सकती है। अभी तो वर्चुअल रैली की शुरुआत हुई है। धीरे धीरे ही इसका असर नजर आएगा। दलबदल के प्रश्न पर उन्होंने एमएलसी बुक्कल नवाब का नाम लिए बिना कहा कि एक एमएलसी को इतना दबाया कि वे हनुमान चालीसा पढ़ने लगे, बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। हो सकता है हमारी सरकार आने पर अगली ईद में वे हमारे साथ दिखें।
लखनऊ में गुरुवार को सपा प्रदेश कार्यालय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव , साथ में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ शुभावती शुक्ला को अपना प्रत्याशी बना सकती है। शुभावती भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं। उपेंद्र का निधन करीब डेढ़ साल पहले हो गया था। शुभावती ने गुरुवार को अपने दोनों बेटों अरविंद दत्त शुक्ला व अमित दत्त शुक्ला के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर पार्टी में शामिल हो गई। भाजपा के गोरखपुर संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले उपेंद्र शुक्ला योगी के कितने करीब थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने पर सांसद पद से इस्तीफे के बाद गोरखपुर संसदीय सीट के उपचुनाव में उन्हें टिकट दिलवाया था। हालांकि, सपा व निषाद पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण निषाद से उपेंद्र चुनाव हार गए थे।