नई दिल्ली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये समूची शिक्षा व्यवस्था को जिस नई ऊंचाई पर ले जाने का सपना बुना गया है, उसके अमल के लिहाज से साल 2022 बेहद अहम होगा। वैसे तो नीति के अमल पर तेजी से काम शुरू हो गया है, लेकिन इस साल उच्च शिक्षा से लेकर स्कूली शिक्षा में बदलाव के जो बीज रोपे जाएंगे, उसकी फसल आने वाले वर्षो में लहलहाएगी। इस साल जिन नए बदलावों पर काम शुरू होगा, उनमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ), नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ), स्कूली शिक्षा का नया शैक्षणिक और पाठ्यक्रम ढांचा तैयार करने जैसी करीब दर्जनभर प्रमुख सिफारिशें शामिल हैं।
नीति आने के बाद से ही मंत्रालय ने इसकी सभी सिफारिशों को लागू करने के लिए समय सीमा तय कर रखी है। साथ ही प्रत्येक टास्क को पूरा करने के लिए टीमें भी गठित हो गई हैं, जो तय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर उसको आगे बढ़ाने में जुटी हुई हैं। इस बीच, मंत्रालय ने जिन और सिफारिशों को इस साल लागू करने के लिए आगे कदम बढ़ाया है, उनमें स्कूली पाठ्यक्रम को नए सिरे से तैयार करना, बेहतर शिक्षक तैयार करने के लिए चार साल के इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स की शुरुआत, परीक्षा से जुड़े सुधारों पर आगे बढ़ना व सभी राज्यों के एससीईआरटी को भी नया स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करने में मदद शामिल हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 2022 में नीति की जिन सिफारिशों को लागू करने का रोडमैप तैयार किया गया है, वे सभी बेहद अहम हैं।
इनमें उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों से जुड़ी सिफारिशें शामिल हैं। उच्च शिक्षा से जुड़ी जिन सिफारिशों पर इस साल काम होना है, उनमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन प्रमुख है। इन दोनों पहलों से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार दिखेगा। वहीं स्कूली शिक्षा में नया शैक्षणिक और पाठ्यक्रम ढांचा तैयार करने जैसे अहम काम की शुरुआत होगी।
अभी स्कूली शिक्षा का ढांचा 10 प्लस 2 वाले मानकों के अनुरूप है। लेकिन अब जो ढांचा प्रस्तावित है, उसमें स्कूली शिक्षा 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के स्वरूप में आ जाएगी। साथ ही इसके दायरे में तीन साल से बड़े सभी बच्चे आ जाएंगे, जिनके लिए ढांचे में बालवाटिका प्रस्तावित की गई है। यह स्कूलों का फाउंडेशन स्तर होगा और पांच वर्षो का होगा। इसमें कक्षा दो तक की पढ़ाई होगी। इसके साथ ही स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने का काम भी शुरू होगा। हालांकि, यह काम 2024 तक चलेगा। इस दिशा में नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।