सरकारी कर्मियों को कब मिलेगी 'बुढ़ापे की लाठी', 17 साल से अपने हक की आवाज उठा रहे कर्मचारी, कर्मियों को नहीं रास आई नवीन पेंशन योजना


🔴 तीन बाधाएं
■ पुरानी पेंशन अब तक केन्द्र, राज्य सरकार की प्राथमिकता में नहीं
■ पुरानी पेंशन के लिए सरकारों ने नहीं की कोई पहल
■ ओपीएस के स्थान पर एनपीएस को तरजीह दे रही सरकार



🔵 तीन परेशानियां
■ एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन निश्चित नहीं
■ पुरानी पेंशन की तरह आखिरी वेतन का कम से कम आधे की गारंटी नहीं
■ शेयर बाजार पर आधारित पेंशन स्कीम को लेकर संशय की स्थिति


⚫ सहूलियत
■ ओपीएस से रिटायरमेंट के बाद आखिरी वेतन की आधी धनराशि पेंशन के रूप में मिलेगी। 
■ मानसिक तौर पर अफसर, शिक्षक व कर्मचारी होंगे सुदृढ़ बुढ़ापे में परिजनों व बच्चों पर नहीं रहना पड़ेगा आश्रित ।



केन्द्र के बाद यूपी सरकार ने एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की पुरानी पेंशन खत्म कर दी। अपेक्षित संख्या में कर्मियों व शिक्षकों को नवीन पेंशन रास नहीं आई तो पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष छेड़ दिया गया है।


पिछले 17 साल से अटेवा संगठन ने मोर्चा संभाला और धरना प्रदर्शनों के जरिए सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। अब तक इस मुद्दे पर सफलता नहीं मिली है लेकिन पुरानी पेंशन की जंग लड़ रहे संगठनों व कर्मियों ने आखिरी सांस तक संघर्ष करने का दम भरा है। अटेवा को उम्मीद है कि पुरानी पेंशन के लिए छिड़ी जंग को देखते .हुए राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने संकल्प एवं घोषणा पत्र में बाद भी इन शिक्षकों व कर्मियों के शरीक करेंगे। 


गेंद अब सियासी मैदान में है।  पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारियो , शिक्षकों और  अधिकारियों के संगठनों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। 


2016 में शिक्षक की हुई आंदोलन में मौत

पुरानी पेंशन के लिए अटेवा समेत दूसरे संगठनों ने दिल्ली एवं लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन आयोजित किए। धरनों में हजारों की तादाद में शिक्षक एवं कर्मचारी पहुंचे। दिसंबर 2016 में प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में शिक्षक रामाशीष सिंह बुरी तरह घायल हो गए जिनकी बाद में मौत हो गई।