आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के हित में कार्य करने के उद्देश्य से बनाया गया यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन अब शिक्षकों के पाप धोने में जुट गया है। यूटा का उद्देश्य शिक्षकों के हितों को छोड़ अधिकारियों को ट्रैप करना और शिक्षा माफियाओं को संरक्षण देना बन गया है। सूत्रों की मानें तो यूटा के कुछ तथाकथित पदाधिकारी शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े से लेकर तमाम भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हुए हैं।
वहीं कुछ पदाधिकारी ऐसे हैं जिनकी खुद की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है। माना जाता है कि यूटा के पदाधिकारी छात्रों की सुविधायों के लिए सरकारी योजना के तहत आने वाले पैसे तक का भी गबन कर चुके हैं। गौरतलब है कि यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर टीईटी पेपर लीक प्रकरण में आरोपी हैं। थाना सिकंदरा में दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक राजेंद्र सिंह राठौर ने कई लोगों से नौकरी लगवाने व पेपर में पास करवाने के लिए पैसे लिए थे। उक्त मामला जब प्रकाश में आया तो एसआईटी ने थाना सिकंदरा में पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जिनमें से तीन लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। वहीं राजेंद्र सिंह राठौर सहित एक अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं। हालांकि यूटा का दावा है कि एफआईआर में राजेंद्र सिंह राठौर नाम का जो व्यक्ति है वह यूटा का पदाधिकारी नहीं है। यूटा नेताओं का कहना है कि वह अन्य व्यक्ति है। वहीं एसआईटी से प्राप्त हुए संकेतों की मानें तो यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ही मामले में दोषी हैं। माना जा रहा है कि जब मामला प्रकाश में आया तो राजेंद्र सिंह राठौर घर से फरार हो गए। हालांकि राजेंद्र सिंह राठौर पर कार्रवाई को लेकर एसआईटी और पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।
एक तरफ जहां प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ पेपर लीक प्रकरण के दोषियों को सलाखों में पहुंचाने का दावा कर रहे हैं। वहीं आगरा पुलिस, एसआईटी और कुछ तथाकथित भाजपाई भी राजेंद्र सिंह राठौर को बचाने में जुटे हुए हैं। यूटा पेपर लीक मामले के दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की बजाय उसे संरक्षण देने में जुटी हुई है।