कानपुर : अगर यह मानें कि ओमिक्रोन फैलना शुरू कर चुका है, तो कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अगले वर्ष की शुरुआत में चरम पर होने की आशंका है। कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की अपेक्षा ओमिक्रोन वैरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है। साउथ अफ्रीका में इस वायरस के फैलने के अब तक के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद पद्मश्री से सम्मानित आइआइटी के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने यह अनुमान लगाया है।
प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि अब तक कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन किसी प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता वाले शख्स को बाईपास नहीं कर सका है। जो लोग पूर्व में संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, उनमें खुद ही अच्छी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है, उन पर इस वायरस का ज्यादा असर अब तक नहीं दिखाई पड़ा है।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि माना जा रहा है कि कोरोना का नया वैरीएंट वैक्सीन वाली इम्युनिटी को बाईपास करने में कुछ हद तक सक्षम है। इसी तरह वैक्सीन लगवाने के बाद जिन लोगों में इम्युनिटी का विकास हुआ है, उन्हें भी यह वैरिएंट बहुत ज्यादा बाईपास नहीं कर पा रहा है। इस कारण भारत में ओमिक्रोन का ज्यादा असर होने की आशंका नहीं है, क्योंकि भारत में 80 फीसद लोगों में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता है।
दूसरी लहर जैसे हालात नहीं होंगे प्रो. अग्रवाल ने कहा कि अगर यह माना जाए कि ओमिक्रोन भारत में अभी से फैलना शुरू कर चुका है, तो तीसरी लहर अगले साल के शुरुआती महीनों में चरम स्तर पर होगी। इसके बाद इसमें गिरावट आएगी। हालांकि, दूसरी लहर के दौरान देश में जिस तरह के हालात थे और अस्पताल व आक्सीजन बेड की काफी जरूरत पड़ी थी, ओमिक्रोन आने से वैसी जरूरत नहीं पड़ेगी।
’आइआइटी के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने लगाया अनुमान
’ भारत में ओमिक्रोन का ज्यादा असर होने की आशंका नहीं