हिन्दी का पाठ पढ़ने को कहा तो बच्चों देखने लगे एक दूसरे का मुंह, डीएम का चढ़ा पारा, शिक्षकों के उड़े होश
बरेली: एक ओर जहां शासन व प्रशासन स्तर से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभवत प्रयास किए जा रहे हैं तो वहीं शिक्षकों की लापरवाही के चलते प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।यही कारण है कि परिषदीय स्कूलों के बच्चों को भविष्य अंधकार में जा रहा है। शिक्षकों की लापरवाही का नजारा गुरुवार को भोजीपुरा के दो परिषदीय स्कूलों में दिखा। औचक निरीक्षण को पहुंचे जिलाधिकारी को बच्चे न तो पाठ सुना सके और न पहाड़ा। इस पर जिलाधिकारी ने शिक्षकों की क्लास लगाई।
जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने गुरुवार को भोजीपुरा के माडल विद्यालय अटाजटान व मोहम्मदपुर जटान का निरीक्षण किया है। उनके पहुंचते ही स्कूल में शिक्षकों के बीच हड़कंप मच गया। शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए जिलाधिकारी ने बच्चों से पहले पहाड़ा सुना तो बच्चे चुप हो गए हैं। इसके बाद हिंदी की किताब का पाठ पढ़ने का कहा तो अपने एक दूसरे साथी का मुंह देखने लगे। इस पर जिलाधिकारी ने शिक्षकों की लताड़ लगाई। विभागीय सूत्रों के मुताबिक स्कूल में जब तक शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं हो जाता तब तक जिलाधिकारी ने शिक्षकों का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।
खंड शिक्षाधिकारी से भी मांगा स्पष्टीकरण
शिक्षा के निम्न स्तर और जगह-जगह पसरी गंदगी को देख जिलाधिकारी ने खंड शिक्षाधिकारी की फटकार लगाकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा। खंड शिक्षाधिकारी सुरेंद्र सिंह के अनुसार कई बार प्रधानाध्यापक और शिक्षकों से विद्यालय में साफ-सफाई कराने के लिए कहा कि लेकिन को फर्क नहीं पड़ा। जिसका नतीजा भुगतना पड़ा है। वहीं जिलाधिकारी द्वारा दस का पहाड़ा सुनने पर शिक्षकों ने बताया कि दो साल बाद सीधे बच्चे का दाखिला कक्षा तीन में हुआ है। ऐसे में बच्चा कैसे पहाड़ा सुना पाएगा।