मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा से दुष्कर्म और मौत के मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने पूरे प्रकरण में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि क्या वजह है कि साक्ष्य होने के बावजूद एसआईटी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। घटना के दो साल बाद प्रधानाध्यापिका ने छात्रा के कुछ पत्र एसआईटी को सौंपे हैं। आखिर क्या वजह है कि इस साक्ष्य को इतने दिन तक दबाए रखा गया। जबकि पुलिस इन्हीं पत्रों कोआधार बनाकर छात्रा के परिवार वालों से पूछताछ कर रही है।
महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि पंचनामा के समय दाखिल फोटोग्राफ में हाथ पर चोट के निशान दिख रहे हैं, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इन चोटों का जिक्र नहीं है। कोर्ट ने रंगीन फोटोग्राफ और अन्य साक्ष्य दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीड़िता की मां का पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने के मामले में कोर्ट ने कहा कि मां का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हो जाने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट इस पर निर्णय लेंगे।
एसआईटी ने पेश की जांच रिपोर्ट
एसआईटी की तरफ से जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश की गई। राज्य सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि जिन 177 संदिग्धों के डीएनए सैंपल की जांच हैदराबाद की प्रयोगशाला से कराई गई है, उनमें से किसी का भी डीएनए मैच नहीं कर रहा है। इस जांच में एक राजनीतिक व्यक्ति का बेटा भी शामिल है। कोर्ट को बताया गया कि एसआईटी ने पीड़िता की मां, मामा सहित 19 लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए हैं।
मां पूछताछ के समय बेहोश हो जा रही है। वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। एसआईटी जांच में अभी तक संकेत मिले हैं कि पीड़िता पर उसके मां, मामा, नाना का दबाव था। जिसके चलते छात्रा ने खुदकुशी की। असली वजह परिवार को पता होगी। नवोदय विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने एसआईटी को छात्रा के कुछ पत्र दिए हैं। जिस पर पूछताछ की जा रही है, जबकि मां नार्को टेस्ट के लिए तैयार नहीं है।
याची ने लगाए परेशान करने के आरोप
याची ने कहा कि अस्पताल की ओपीडी रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रा की लाश अस्पताल में लाई गई थी। जबकि पुलिस कह रही कि मौत अस्पताल में हुई है। नामजद आरोपियों से पूछताछ नहीं कर पुलिस जिसकी बेटी मर गई, उस मां को ही पूछताछ कर परेशान कर रही है। न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ सिंह ने कहा कि छात्रा के कपड़ों पर सीमेन मिला है। वह प्रधानाध्यापिका की सुरक्षा में हास्टल में थी। पुलिस भी घटना से बेखबर नहीं है। अपराधियों का पता लगाने में कोताही बरत रही है। याची ने कहा प्रधानाध्यापिका से पूछताछ नहीं की गई है। मां से घंटों पूछताछ होती है। पालीग्राफ टेस्ट करना है तो मां के साथ प्रधानाध्यापिका का भी किया जाए। याचिका की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।