प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया सेवानिवृत्ति से एक साल पहले विकल्प भरने में देरी के कारण कर्मचारी को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने उक्त मामले में राज्य सरकार व विपक्षी से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। स्पष्ट करें कि क्या याची का देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य करने के योग्य है? उक्त मामले में अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मोहर पाल सिंह की विशेष अपील पर दिया है।
अपील पर स्थायी अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने प्रतिवाद किया। याची प्राइमरी स्कूल मोइद्दीनपुर एटा का प्रधानाध्यापक था। उसने ग्रेच्युटी का विकल्प दिया, लेकिन विकल्प सेवानिवृत्ति से छह माह पहले दिया। अपीलार्थी का कहना है कि ऐसे ही मामले में दामोदर मथपाल केस में सुप्रीम कोर्ट कहा है कि सेवानिवृत्ति आयु 60 देने का विकल्प न देने से ग्रेच्युटी पाने के अधिकार समाप्त नहीं होते। 10 जून, 2002 के शासनादेश में कहा गया है कि 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु से एक साल पहले ग्रेच्युटी का विकल्प दिया जाना है।