नई दिल्ली : कम उम्र में शादी और कम उम्र में मातृत्व महिलाओं की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। इसे दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने शादी की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
कानून में संशोधन के लिए संसद के इसी सत्र में विधेयक आ सकता है। अभी कानून में बेटियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित है जबकि लड़कों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है। बेटियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ा कर 21 वर्ष करने से लड़कों और बेटियों की शादी की न्यूनतम आयु बराबर हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस संबोधन में बेटियों की विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के बारे में विचार की घोषणा की थी। इसके पहले 1978 में शारदा एक्ट में संशोधन करके बेटियों की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी। जैसे जैसे भारत तरक्की कर रहा है महिलाओं के शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर बन रहे हैं। ऐसे मे महिलाओं की सेहत और सशक्तीकरण को देखते हुए एक बार फिर बेटियों की विवाह की आयु बढ़ाने की मांग उठ रही थी। केंद्र सरकार ने शादी की उम्र और मातृत्व के बीच संबंध, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) कम करने और महिलाओं का पोषण स्तर बेहतर करने के लिए महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए 4 जून 2020 को एक कार्य दल (टास्क फोर्स) गठित किया था। इसमें बेटियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी सुझाव मांगे गए थे जिसमें बेटियों की शादी की आयु बढ़ाने पर भी विचार शामिल था। टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
सरकार ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट जांचने के बाद इसे और सशक्त आधार देने के लिए मामला अध्ययन के लिए नीति आयोग को भेजा था और नीति आयोग से अनुरोध किया था कि वह कम आयु में विवाह का भारत की महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और आर्थिक सशक्तीकरण आदि पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का अध्ययन करे।
’>>शादी की मौजूदा न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर की जाएगी 21 वर्ष
’>>कैबिनेट ने दी मंजूरी संसद के इसी सत्र में आ सकता है विधेयक
कोर्ट में लंबित हैं याचिकाएं
इस मामले को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं भी लंबित हैं। याचिकाओं में कम उम्र में शादी से बेटियों के विकास और प्रगति में पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की बात कहते हुए बेटियों और लड़कों दोनों की शादी की उम्र एक समान 21 वर्ष करने की मांग की गई है।