प्रयागराज अनुभूति /हैप्पीनेस पाठ्यचर्या के विकास के लिए राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में आयोजित कार्यशाला के समापन अवसर पर हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को समय की आवश्यकता बताया गया। प्रवक्ता पवन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह विषय बच्चों में जीवन मूल्यों की समझ को निरंतर अभ्यास के माध्यम से न केवल बढ़ाता है बल्कि उन्हें खुशहाल मानव बनाकर उन्हें जिम्मेदारी, भागीदारी, ईमानदारी का पाठ भी सिखाएगा।
कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों में विचार विनिमय के माध्यम से स्पष्ट हुआ कि इंद्रियों की अपनी उपयोगिता है, उनके काम अपनी उपयोगिता को प्रमाणित करते हैं, संबंधों में सम्मान एवं स्वीकृति से जीवन आसान होता है, जीवन लक्ष्यों की समझ से तालमेल होता है और दीर्घकालिक खुशी मिलती है। इससे मानसिक तनाव नहीं होता, ईष्या की भावना नहीं उत्पन्न होती बल्कि कृतज्ञता का भाव पैदा होता है। विशेषज्ञ, हैप्पीनेस कार्यक्रम श्रवण कुमार शुक्ल ने बताया कि सोशल इमोशन एंड एथिकल लर्निंग के नाम से यह पाठ्यक्त्रस्म अधिकांश देशों में प्रारम्भ हो चुका है। भारत में भी यह कई राज्यों में विभिन्न नामों से शुरुआती दौर में संचालित हो रहा है। उत्तर प्रदेश के परिवेश के मुताबिक इसे अनुभूति / हैप्पीनेस नाम से पाठ्यक्रम के विकास में सरकार प्रयत्नशील है।