लखनऊ : बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा है कि पूर्व की सरकारों की प्राथमिकता में गुणवत्तापरक शिक्षा कभी नहीं रही, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में 2017 से पहले देश में पांचवें स्थान पर था वह अब दूसरे स्थान पर है। फर्क साफ है, अब स्थिति यह है कि लोग अपने बच्चों का नाम निजी विद्यालयों से कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिखा रहे हैं।
भाजपा के ‘फर्क साफ है’ कार्यक्रम के तहत पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से कहा कि पांच साल पहले स्कूल के नाम पर टूटे-फूटे जर्जर भवन दिखाई पड़ते थे। उनमें न पीने की पानी की व्यवस्था थी, न बिजली की और न ही बच्चों के बैठने का इंतजाम था। यूनिफार्म देने के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटाले ही सामने आते थे। पूर्व की सरकारों ने प्रदेश को हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं में नकल का गढ़ बना दिया था। उन्होंने कहा कि पांच साल में योगी सरकार ने इस छवि को बदला है। प्राथमिक विद्यालयों में एक करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा छात्र-छात्रएं नामांकित हैं। पहले की सरकारों में जहां शिक्षक भर्ती का अर्थ सिर्फ भ्रष्टाचार और वर्ग विशेष का लाभ था, वहीं योगी सरकार में एक लाख 25 हजार शिक्षकों को पूरी पारदर्शिता व बिना किसी भेदभाव के भर्ती किया गया। वहीं सरकार ने आपरेशन कायाकल्प चलाकर एक लाख से ज्यादा स्कूलों का पुनरोद्धार किया।