उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) 2021 में सरकारी प्रबंधों को धता बताकर जिस तरह नकल माफिया ने सेंध लगाई, उससे 'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' की कहावत चरितार्थ हो गई। आमतौर पर परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र लीक होने की शिकायतें मिलती रही हैं। उसे रोकने के लिए परीक्षा संस्था ने भारी भरकम प्रबंध किए। नकल माफिया ने दो कदम आगे बढ़कर प्रश्नपत्र केंद्र पर पहुंचने से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया। अब परीक्षा संस्था और प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी की शुचिता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि प्रश्नपत्र संबंधित एजेंसी से या फिर जिलों के कोषागार में रखवाते समय लीक होने की आशंका जताई जा रही है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल व प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप लगना आम बात है। लगभग हर परीक्षा के दौरान व बाद में ऐसी बातें सामने आती रही हैं, लेकिन सत्य से सरोकार न होने से आरोप सिरे से खारिज होते रहे हैं। इस बार परीक्षा की सुबह की जगह शनिवार शाम को ही इंटरनेट पर प्रश्नपत्र व हल सामग्री वायरल हुई तो एसटीएफ ने उसकी जांच कराई। प्रश्नपत्र सही मिला और कुछ ही घंटों में पेपर कई जिलों के वाट्सएप ग्रुपों पर पहुंच गया।
यूपीपीएससी की समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2021 पांच दिसंबर को आयोजित की गई है।
यूपीपीएससी आरओ-एआरओ भर्ती परीक्षा : लखनऊ में चार परीक्षा केंद्र बदले, कानपुर में पता संशोधित
यह भी पढ़ें
अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को बताया कि पेपर शनिवार को ही वायरल हुआ। प्रश्नपत्र परीक्षा संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय प्रयागराज ने तैयार कराकर एजेंसी के माध्यम से छपवाया था। प्रश्नपत्र कौन सी एजेंसी छाप रही है, ये बेहद गोपनीय होता है, इसीलिए एडीजी ने पेपर छापने वाली एजेंसी का नाम लेने तक से परहेज किया। सिर्फ यही कहा कि इसकी एसटीएफ छानबीन कर रही है। नियम है कि प्रश्नपत्र को संबंधित जिलों के कोषागार के डबल लाक में रखा जाए। ऐसे में पेपर जिलों तक पहुंचाने और उसे रखवाने वाले भी संदेह के घेरे में हैं?
यूपीटीईटी में शामिल होने वालों की तादाद इस बार सबसे अधिक है। 21.65 लाख परीक्षार्थी होने से मुख्य सचिव ने 22 नवंबर को मंडलायुक्त, डीएम व एसपी को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के बाद 25 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग करके प्रशासन, पुलिस व शिक्षा विभाग के अफसरों को सख्त निर्देश दिए थे। तैयारियों की समीक्षा में पाया कि परीक्षा केंद्रों की गतिविधियों की निगरानी सीसीटीवी सर्विलांस के जरिए कराई जा रही है। पहली बार राज्य स्तर पर इसके लिए नियंत्रण कक्ष बना।
जिलों में पर्यवेक्षक तैनात किए और केंद्र पर मोबाइल फोन या फिर अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस प्रतिबंधित की गई थी। प्रश्नपत्र खोले जाने के समय केंद्र व्यवस्थापक, पर्यवेक्षक आदि के पास कैमरा वाला फोन न होने की हिदायत दी गई थी। सरकार व परीक्षा संस्था ने प्रश्नपत्र पहुंचने के बाद के सारे प्रबंध किए, लेकिन उसके पहले सेंधमारी की शायद किसी ने कल्पना नहीं की, इसीलिए विभाग की किरकिरी होने के साथ ही परीक्षार्थियों को भी परेशान होना पड़ा।