बरेली:- जिन शिक्षकाें को सरकार ने बच्चों को शिक्षित कर देश का गौरव बनाने का जिम्मा सौंपा है। वे गुरुवार को राजनीति में लीन होकर अपनी जिम्मेदारी ही भूल गए। सयुंक्त संघर्ष समिति के धरना में शिक्षक स्कूल में बिना किसी सूचना के ही पहुंच गए।
जिन शिक्षकाें को सरकार ने बच्चों को शिक्षित कर देश का गौरव बनाने का जिम्मा सौंपा है। वे गुरुवार को राजनीति में लीन होकर अपनी जिम्मेदारी ही भूल गए। सेठ दामाेदार स्वरूप पार्क में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आयोजित सयुंक्त संघर्ष समिति के धरना में शिक्षक स्कूल में बिना किसी सूचना के ही पहुंच गए। उधर, छात्र-छात्राएं उनका इंतजार करते रहे।
शासन और प्रशासन स्तर से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का जितना प्रयास किया जा रहा है। उसे ठेंगा दिखाने में शिक्षक किसी तरह की कसर नहीं छोड़ रह हैं। शिक्षक अपने अधिकारियों को धरने में जाने की सूचना दिए बगैर ही वहां पहुंचे और सरकार के खिलाफ पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नारेबाजी की। इनके अलावा अन्य सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी भी बिना किसी जानकारी के धरने में राजनीति करते रहे। वहीं जब इन्हें मीडिया को इसकी जानकारी होने की भनक लगी तो एक-एक कर शिक्षक व अन्य कर्मचारी धरने से किनारा करने लगे।
क्या बोले शिक्षकः फतेहगंज पश्चिमी के लोहार नंगला के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका सीमा कपूर ने बताया कि स्कूल में सिर्फ इसलिए कोई सूचना नहीं दी सोचा धरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। लेकिन, काफी देर कार्यक्रम चलने की वजह से देर हो गई।पीएस कंपोजिट विद्यालय संगीता शर्मा ने बातया कि समिति के कहने पर ही धरने में शामिल हुए थे। यह नहीं पता था कि तीन चार घंटे धरना चलेगा। लेकिन, इससे बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हुई होगी। पीएस अलीगंज नीतू सक्सेना का कहना है कि धरने में शामिल होने की कोई विशेष जानकारी तो स्कूल में नहीं दी। क्याेंकि जानकारी में सिर्फ यही था कि आधा घंटे का कार्यक्रम है। इसलिए शामिल हो गए।पारुल चंद्रा का कहना है कि धरने में शामिल होकर भी ध्यान सारा स्कूल में ही था। मगर, इसके लिए स्कूल में साथियों से कह दिया था, लिखित कोई जानकारी नहीं दी।