नई दिल्ली।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तबादले की मांग को लेकर एक सुनवाई के दौरान कहा कि उत्तर भारत में सांस से जुड़ी बीमारी दमा यानी ब्रोंकियल अस्थमा की परेशानी लोगों में आम बात है और इसके आधार पर तबादला नहीं किया जा सकता है।
न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ब्रोंकियल अस्थमा के चलते अपने गृहनगर तिरुवनंतपुरम स्थानांतरित करने की मांग की थी। जस्टिस मनमोहन और नवीन चावला की पीठ ने अधिकारी की मांग खारिज करते हुए कहा कि उत्तर भारत में अस्थमा की परेशानी लोगों में बहुत आम है और यह इस तरह की बीमारी नहीं है जो स्थानांतरण के लिए उपयुक्त आधार हो। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अस्थमा से पीड़ित हैं जो कि उत्तर भारत में बहुत आम बात है, लिहाजा इसके आधार पर तबादला नहीं किया जा सकता है।
न्यायालय ने कहा है कि एक अधिकारी की तैनाती और तबादला वायुसेना रिकॉर्डस आफिस के विशेष दायरे में आती है, ऐसे में जबतक कानून और तय प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया जाता है तबतक अदालतें इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। संदीप कृष्णन को अप्रैल, 2013 में वायुसेना में एयरमेन के पद पर नियुक्त किया गया था। याचिका के अनुसार कृष्णन को एयर वॉरियर ड्रिल टीम के साथ प्रशिक्षण सत्र के दौरान बाएं घुटने में गंभीर चोट आई और इसके बाद उनके दाहिने घुटने पर भी चोट आई।
इसके बाद उन्हें 15 जनवरी 2018 को पैरा ट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल आगरा में तैनात किया गया था। कृष्णन ने याचिका में कहा कि आगरा में तैनात किए जाने के बाद 2019 में उन्हें सांस की तकलीफ और भारी ठंडी जलवायु परिस्थितियों के साथ-साथ धूल और अन्य प्रदूषक कणों के कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उन्होंने न्यायालय को बताया कि इसके बाद उन्हें सांस लेने की तकलीफ बढ़ती गई और बाद में ब्रोंकियल अस्थमा होने का पता चला। याचिका में उन्होंने अपने गृह नगर तिरुवनंतपुरम में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए कहा कि दक्षिणी क्षेत्र में मध्यम जलवायु परिस्थितियों के चलते उन्हें बीमारी में आराम मिलेगा। मगर अदालत ने उनकी बीमारी को तबादले का आधार मानने से इनकार कर दिया।