नई दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की आठ लाख रुपये सालाना आय की सीमा पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करेगी। गुरुवार को मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश की खातिर नीट में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू करने के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वासन दिया। मेहता ने कहा कि पुनर्विचार प्रक्रिया और निर्णय लेने में चार सप्ताह का समय लग सकता है। कोर्ट को पूर्व में दिए गए भरोसे के मुताबिक तब तक
काउंसलिंग नहीं होगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय पीठ ने सालिसिटर जनरल के बयान को दर्ज करते हुए मामले की सुनवाई छह जनवरी तक के लिए टाल दी। केंद्र सरकार ने इसी सत्र से मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा नीट के तहत आल इंडिया कोटे में ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की अधिसूचना जारी की है। सरकार ने ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख सालाना आय की सीमा तय की है, जो ओबीसी क्रीमी लेयर की सीमा है। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें नीट पीजी में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने को चुनौती दी गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख वार्षिक आय सीमा तय करने का आधार और प्रक्रिया पूछी थी। कोर्ट ने कहा था कि वह सरकार की नीति में दखल नहीं देना चाहता। सिर्फ यह जानना चाहता है कि आठ लाख की सीमा तय करने का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है? गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। एक समिति गठित की जाएगी, जो ईडब्ल्यूएस की आय सीमा पर विचार करेगी। इसमें चार सप्ताह का समय लग सकता है। पीठ के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण सकारात्मक और प्रगतिवादी चीज है। सभी राज्यों को इसमें केंद्र का समर्थन करना चाहिए। पीठ ने कहा, यहां सवाल सिर्फ इतना है कि इसे तय करने का तरीका और आधार वैज्ञानिक होना चाहिए। नीट में कोटा लागू करने का विरोध कर रहे छात्रों की ओर से पेश वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि इस वर्ष काफी समय बीत चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को ईडब्ल्यूएस कोटा अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करना चाहिए। पीठ ने दत्तार की दलीलों से सहमति जताते हुए मेहता से पूछा कि क्या ऐसा संभव है कि ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने का मामला अगले वर्ष तक खिसका दिया जाए और इस शैक्षणिक सत्र की काउंसलिंग चालू करने की इजाजत दी जाए, क्योंकि देर हो रही है? लेकिन मेहता ने कहा कि सरकार ने इसी सत्र से संविधान में किए गए 103वें संशोधन (ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देना) को लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अगर मामले में चार सप्ताह के पहले फैसला हो गया तो वे कोर्ट को सूचित करेंगे। पीठ ने दत्तार से कहा कि वह सरकार को इसमें जल्दी करने को नहीं कहना चाहती। नहीं तो जल्दबाजी में अवैज्ञानिक तरीके से दायरा तय हो जाएगा।
काउंसलिंग नहीं होगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय पीठ ने सालिसिटर जनरल के बयान को दर्ज करते हुए मामले की सुनवाई छह जनवरी तक के लिए टाल दी। केंद्र सरकार ने इसी सत्र से मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा नीट के तहत आल इंडिया कोटे में ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की अधिसूचना जारी की है। सरकार ने ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख सालाना आय की सीमा तय की है, जो ओबीसी क्रीमी लेयर की सीमा है। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें नीट पीजी में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने को चुनौती दी गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख वार्षिक आय सीमा तय करने का आधार और प्रक्रिया पूछी थी। कोर्ट ने कहा था कि वह सरकार की नीति में दखल नहीं देना चाहता। सिर्फ यह जानना चाहता है कि आठ लाख की सीमा तय करने का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है? गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। एक समिति गठित की जाएगी, जो ईडब्ल्यूएस की आय सीमा पर विचार करेगी। इसमें चार सप्ताह का समय लग सकता है। पीठ के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण सकारात्मक और प्रगतिवादी चीज है। सभी राज्यों को इसमें केंद्र का समर्थन करना चाहिए। पीठ ने कहा, यहां सवाल सिर्फ इतना है कि इसे तय करने का तरीका और आधार वैज्ञानिक होना चाहिए। नीट में कोटा लागू करने का विरोध कर रहे छात्रों की ओर से पेश वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि इस वर्ष काफी समय बीत चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को ईडब्ल्यूएस कोटा अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करना चाहिए। पीठ ने दत्तार की दलीलों से सहमति जताते हुए मेहता से पूछा कि क्या ऐसा संभव है कि ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने का मामला अगले वर्ष तक खिसका दिया जाए और इस शैक्षणिक सत्र की काउंसलिंग चालू करने की इजाजत दी जाए, क्योंकि देर हो रही है? लेकिन मेहता ने कहा कि सरकार ने इसी सत्र से संविधान में किए गए 103वें संशोधन (ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देना) को लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अगर मामले में चार सप्ताह के पहले फैसला हो गया तो वे कोर्ट को सूचित करेंगे। पीठ ने दत्तार से कहा कि वह सरकार को इसमें जल्दी करने को नहीं कहना चाहती। नहीं तो जल्दबाजी में अवैज्ञानिक तरीके से दायरा तय हो जाएगा।
’नीट पीजी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए आय सीमा पर सुनवाई के दौरान सरकार ने दिया आश्वासन ’सालिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को केंद्र के फैसले की जानकारी दी, मांगा चार सप्ताह का समय