परिषदीय स्कूल के नौनिहालों के ड्रेस, स्वेटर, जूता-मोजा व बैग खरीद में बिचौलियों की भूमिका खत्म करते हुए इस बार शासन ने सीधे अभिभावकों के खाते में 11-11 सौ रुपये भेज दिए। शासन की मंशा यह है कि इससे अभिभावक अपने बच्चों के गुणवत्तापूर्ण कपड़े और अन्य सामानों की खरीदारी करेंगे।
करीब 20 दिन पहले शासन से सीधे अभिभावकों के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए गए। गुरुवार को आपके अपने अखबार ' हिन्दुस्तान' ने परिषदीय स्कूल में ड्रेस-स्वेटर, जूते मोजे व बैग की हकीकत खंगाली। खुलासा हुआ कि अधिकतर अभिभावकों ने शासन से मिला पैसा खाते से निकाल लिया है लेकिन ड्रेस- स्वेटर की अभी तक खरीद नहीं की है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि बोआई का सीजन है ऐसे में पैसा निकालकर खाद-बीज खरीद लिया है।
मंगरौरा : बिना स्वेटर स्कूल आ रहे बच्चे
कोहंडौर विकास खंड मंगरौरा के प्राथमिक विद्यालय मंगरौरा में कुल 102 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से 60 बच्चों को ड्रेस- स्वेटर व जूता-मोजा खरीदने का पैसा मिल चुका है। शेष बच्चों को किसी न किसी कारण से अभी तक पैसा नहीं मिल सका है। ऐसे में अधिकतर अभिभावक कह रहे हैं कि सबके खाते में पैसा आने के बाद एक साथ ड्रेस खरीदेंगे हेडमास्टर इंद्रमणि का कहना है कि पैसा सीधे अभिभावक के खाते में आया है. उसमें शिक्षक की कोई भूमिका नहीं है।
लालगंज : इतने पैसे में कैसे खरीदें ड्रेस और स्वेटर
लालगंज मॉडल प्राथमिक विद्यालय अटेहा में कुल 465 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से 105 अभिभावकों के खाते में पैसा पहुंच चुका है। इनमें अधिकतर अभिभावक ने खाते से पैसा निकाल लिया है लेकिन एक भी बच्चे के लिए अभी तक ड्रेस, स्वेटर आदि नहीं खरीदा गया है। अभिभावक रामसुमेर वर्मा, जितेन्द्र कुमार ने कहा कि इतने कम पैसे में ड्रेस, स्वेटर, जूते-मोजे व कैसे खरीदा जा सकता है। बोआई का सीजन है पैसे निकालकर खाद-बीज खरीद लिया है।
शिवगढ़ : पिछले साल के ड्रेस-स्वेटर पहनाएंगे
शिवगढ़। विकास खंड शिवगढ़ के प्राथमिक कुराडीह में कुल 64 बच्चे पंजीकृत है, इनमें से 51 अभिभावकों खाते में पैसा पहुंच चुका है। लेकिन एक भी अभिभावक ने ड्रेस आदि नहीं खरीदा है। अभिभावक अर्जुन यादव, रामजी, इंद्रदेव ने बताया कि बोआई की सीजन चल रही है ऐसे में सरकार से मिले पैसे से खाद-बीज खरीद लिया है। बच्चों के पास पिछले वर्ष मिले ड्रेस स्वेटर व जूते-मोजे मौजूद है। जिससे से काम चल जाएगा।
रंग व डिजाइन को लेकर पशोपेश
शासन की ओर से परिषदीय स्कूल के अभिभावकों के बैंक खाते में पैसे भेज दिए गए लेकिन ड्रेस, स्वेटर के रंग व जूते मोजे की डिजाइन के सम्बंध में कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई। ऐसे में अभिभावक इसे लेकर पशोपेश में हैं। खास बात यह कि बेसिक विभाग के जिम्मेदार भी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बोल पा रहे हैं।
अभी तक जिले के 50-65 फीसदी बच्चों को ही ड्रेस, स्वेटर व जूता-मोजा खरीदने का पैसा मिल सका है। शेष को शीघ्र ही शासन से पैसे ने ट्रांसफर किए जाने वाले हैं। ड्रेस आदि खरीदने के लिए हेडमास्टर अभिभावकों को जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा नवम्बर को 130 ब्लॉकवार कार्यशाला कराई जाएगी। जिसमे हेडमास्टर, ग्रामप्रधान, बीडीसी व विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य शामिल रहेंगे।
-सुधीर कुमार सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी