गांधी जयंती पर शिक्षकों द्वारा खुद की फोटो शेयर करना महंगा पड़ गया। कुछ समाचार पत्रों ने जूतों और चप्पलों के साथ माल्यार्पण करने को प्रमुखता से उठा कर BSA से शिकायत की। दोषियों पर कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया गया है। बताते चलें कि ये फोटो खुद शिक्षकों द्वारा लिए गए थे और उनको शेयर भी इन लोगों ने स्वतः किए थे| लेकिन तब ही ये अपनी गलती को पहचान न सके और प्रकरण में दोषी बन गए|
वो शिक्षक हैं। बच्चे उनसे ही सीखते हैं। गांधी जयंती पर बच्चों को स्कूल बुलाया था ताकि वह कुछ सीखें लेकिन गुरुजी शायद भूल गए कि बच्चे भाषणों से कम, आचरण से ज्यादा सीखते हैं। शनिवार को कई स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों के सामने जूते-चप्पल पहनकर महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया।
संविलियन स्कूल जिजौली मक्खनपुर में बापू की जयंती पर कार्यक्रम हुआ। शिक्षिकाओं ने स्कूल को संवारा भी लेकिन बच्चों के सामने जब माल्यार्पण की बारी आई तो शिक्षिकाएं चप्पल उतारना भूल गईं। एक तरफ विभाग के आला अधिकारी चप्पल उतार कर माल्यार्पण कर रहे थे तो दूसरी तरफ जिजौली में सभी शिक्षिकाओं ने ऐसे ही माला पहनाई। कुछ यही हाल दिखाई दिया प्राथमिक स्कूल रपड़ी में भी। स्कूल में राष्ट्रपिता एवं लाल बहादुर शास्त्रत्त्ी के चित्रों पर माल्यार्पण के वक्त न तो किसी शिक्षक ने जूते उतारे न ही श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों ने।
जबकि सामने स्कूल के बच्चे बैठे हुए थे। जिले के कई स्कूलों में यही हाल दिखाई दिया।
- महापुरुषों के चित्र पर मार्ल्यापण करते समय जूते-चप्पल उतार कर करने चाहिए। अगर शिक्षकों ने ऐसा किया है तो गलत है। शिक्षकों को तो बच्चों को अच्छी चीज सिखानी चाहिए। ऐसी लापरवाही करने वाले शिक्षकों को नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण देकर जवाब मांगा जाएगा फिर कार्रवाई तय होगी।
- अंजलि अग्रवाल जिला बेसिक शिक्षाधिकारी