कर्मचारी संगठनों ने सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए फैसलों का हवाला दिया है। श्रीकुमार बताते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, वेतन और पेंशन, कर्मियों का पूर्ण अधिकार है। यह कानून के अनुसार, देय है। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव/कर्मचारियों ने अपने पत्र दिनांक 16/04/2021 के माध्यम से डीए/डीआर को फ्रीज करने के सरकार के फैसले का विरोध किया था। सरकार का यह कदम वेतन आयोगों की स्वीकृत सिफारिशों के खिलाफ है...
केंद्र सरकार द्वारा कर्मियों के ‘डीए-डीआर’ का एरियर रोके जाने के खिलाफ अब कर्मी लामबंद होने लगे हैं। फिलहाल, कर्मियों ने केंद्र सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया है। कर्मियों ने इसे अदालत में जाने से पूर्व की कार्रवाई बताया है। जेसीएम के सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत तीन सितंबर को कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा है कि अगर सरकार एक माह में कर्मियों के एरियर को लेकर कोई घोषणा नहीं करती है तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जाएगा।
श्रीकुमार का कहना है, पिछले साल केंद्र सरकार ने कोविड-19 की आड़ लेकर सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के डीए-डीआर पर रोक लगा दी थी। महामारी के दौरान रेलवे, रक्षा, डाक और अस्पताल के कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। इन कर्मियों ने पीएम केयर फंड में एक दिन का वेतन जमा कराया था। सरकार ने कर्मियों के 11 फीसदी डीए का भुगतान रोक कर 40000 करोड़ रुपये बचा लिए। कर्मियों के दबाव के चलते केंद्र ने गत एक जुलाई से 11 फीसदी की दर से डीए-डीआर जारी करने का निर्णय लिया है।