UPTET: वैधता बढ़ी तो 10 साल पुराने प्रमाणपत्र के लिए दौड़ने लगे बेरोजगार अभ्यर्थी


शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होने के बाद तमाम बेरोजगार दस साल पुराने अंकपत्र के लिए दौड़ रहे हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में रोज चार से छह अभ्यर्थी 2011 से 2019 तक के अपने प्रमाणपत्र के संबंध में पूछताछ करने पहुंच रहे हैं।


पूर्व में यूपी टीईटी पांच साल के लिए मान्य था इसलिए 2015 के पहले के प्रमाणपत्र बेकार हो गए थे। लेकिन आजीवन मान्य किए जाने से पूर्व में सफल उन अभ्यर्थियों में शिक्षक बनने की उम्मीद फिर जग गई हैं जो अब तक बेरोजगार हैं या प्राइवेट नौकरी में हैं। डायट में 2018 के तकरीबन 8 से 10 हजार और 2019 के 18 हजार प्रमाणपत्र पड़े हैं।

उससे पूर्व के कितने प्रमाणपत्र रखे हैं इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि जिन क्लर्क के पास रिकॉर्ड है उनका तबादला हो चुका है और किसी को रिकॉर्ड ट्रांसफर नहीं हुआ। यूपी में पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड ने टीईटी कराया था। इसके बाद 2013 से 2019 तक लगातार परीक्षा हुई। 2020 की परीक्षा कोरोना के कारण अब तक नहीं हो सकी है।


सीबीएसई ने पहले ही सीटीईटी को आजीवन मान्य कर दिया है। जबकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर इस संबंध में निर्णय लेने को कहा है। उत्तर प्रदेश में यूपीटीईटी को आजीवन मान्य करने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। जिस पर आज शासन ने अपनी मुहर भी लगा दी है। अब uptet का प्रमाण पत्र आजीवन मान्य होगा.

इनका कहना है
यूपी टीईटी के 2011 से 2019 तक के पुराने प्रमाणपत्र के संबंध में चार-छह अभ्यर्थी रोज पूछने आ रहे हैं। जिन कर्मचारियों के पास रिकॉर्ड था उनका प्रमोशन के कारण तबादला हो चुका है। जिसे भी पुराने प्रमाणपत्र लेना है वह 15 जुलाई के बाद संपर्क करे।
संतोष मिश्र, डायट प्राचार्य