GPF व पेंशन पर हमारा पक्ष व सरकार से सवाल:- टीम राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश


#GPF_व_पेंशन_पर_हमारा_पक्ष_व_सरकार_से_सवाल.....
यह घोर चिंता का विषय है कि हमारे कुछ साथी 31 मार्च 2022 को व आगामी सत्रांत में सामान्य भविष्य निधि से वंचित व पेंशन विहीन सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। कई शिक्षकों के परिवार में एक या दो बेटियों की शादी अभी बाकी है, बच्चे पढ़ रहे हैं ऐसी हालत में उन्हें बदतर जीवन जीना होगा! यह बहुत ही चिन्तनीय स्थिति है। अतः हमारे सभी साथियों ने यह निर्णय लिया है कि हम अपने साथियों के लिए GPF व पेंशन व्यवस्था होने तक अपनी ऊर्जा और कहीं भी व्यय नहीं करेंगे।
अब हम व्यक्तिगत स्तर पर सरकार व उनके अधिकारियों को समझने और समझाने का प्रयास करेंगे कि
◆क्यों व कैसे उत्तर प्रदेश में ही GPF व पेंशन को लेकर इतनी बड़ी गड़बड़ हुई?
◆क्यों बेसिक शिक्षा के शिक्षक को ही NPS व OPS पर 17-18 वर्षों तक सरकार व अधिकारियों के अनिर्णय व उहापोह की स्थिति के कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया?
◆ सरकार व उसके जिम्मेदार अधिकारी हमें बताएं कि 18 वर्ष की निष्ठा पूर्वक सेवा के पश्चात 62 वर्ष की उम्र में दिनाँक 31 मार्च 2022 को सामान्य भविष्य निधि व पेंशन व्यवस्था से वंचित सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त किए जाने वाले शिक्षकों के गरिमा पूर्ण जीवन यापन रूपी मौलिक अधिकार की सुरक्षा हेतु क्या व्यवस्था की गई है?
◆01अप्रैल 2005 को NPS लागू होते ही क्यों नहीं शिक्षकों की NPS कटौती शुरू की गई?
   ◆उत्तर प्रदेश में NPS का नोटिफिकेशन, NPS लागू होने के लगभग 3-4 साल की देरी से 2008 में क्यों जारी हुआ?
    ◆उत्तर प्रदेश में पहली NPS कटौती, NPS लागू होने के लगभग 8-10 वर्ष की देरी से 2013-15 में क्यों शुरू हुई?
    ◆आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? और इसकी सजा शिक्षकों को ही क्यों दिया रही है?
 स्पष्ट है कि बेसिक शिक्षा परिषद में NPS लागू करने में सरकार व उनके अधिकारी पूर्णतया विफल रहे हैं। वे कोई भी व्यवस्था समय पर उपलब्ध नहीं करा पाए और आज भी NPS में सरकार अपना 14% अंशदान समय पर नहीं दे पा रही है। पर सबसे ज्यादा परेशान शिक्षक को ही किया जा रहा है। इस मानसिक प्रताड़ना का असर हम सबके स्वास्थ्य पर दिखने लगा है।
   31 मार्च 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की GPF व पेंशन की पत्रावलियां बनने का कार्य सितम्बर-अक्टूबर 2022 में शुरू हो जाएगा, इस कार्य में अब मात्र 3-4 माह ही बचे हैं। पत्रावलियों से उन्हें मिलेगा क्या? हम समझ नहीं पा रहे हैं कि इतने कम समय में हम क्या करें? वर्षों से इतने पत्र देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं। यदि सरकार का यही रवैया रहा तो हम अपने साथियों की आर्थिक सुरक्षा व सम्मान के लिए एस्मा आदि की परवाह न करते हुए तरह-तरह के अहिंसात्मक आंदोलन करेंगे। यदि सरकार ने तब भी न सुनी तो इससे भी आगे की चेतावनी जारी कर सकते हैं। हम राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रत्येक निर्णय का सम्मान करेंगे। कम समय होने के कारण हम नई रणनीति बनाएंगें। हम कोर्ट जाने से बचेंगे। राजनीतिक स्तर पर भरपूर पैरवी करेंगे। यही हमारा संकल्प है।
टीम राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश