17140 वेतन विसंगति के मामले पर शाहजहांपुर के कोर्ट केस व सचिव बेसिक शिक्षा के निस्तारण को देखते हुये 17140 वेतन विसंगति पर कुछ तथ्य सामने आए जो निम्नवत है


हरीश कुमार

👉🏼17140 वेतन विसंगति के मामले पर शाहजहांपुर के कोर्ट केस व सचिव बेसिक शिक्षा के निस्तारण को देखते हुये 17140 वेतन विसंगति पर कुछ तथ्य सामने आए जो निम्नवत है।

1- छठवें वेतन आयोग के आदेश 8 दिसम्बर 2008 को निर्गत हुए थे, तथा ये 1 जनवरी 2006 से लागू गए। इसमे 1 जनवरी 2006 को धारित पद व ग्रेड पे के आधार पर वेतन निर्धारण किया गया था।




2-  7 सितम्बर 2009 को बेसिक शिक्षकों के वेतन पुनरीक्षण हेतु फिटमेंट चार्ट निर्गत किया गया। छठे वेतन आयोग के विचित्र विसंगतियों के कारण एक ओर ग्रेड पे 4600 पर सीधी भर्ती वालों को 17140 दिया गया तो दूसरी ओर 4200 से 4600 पर पदोन्नत बेसिक शिक्षकों को 17140 देने से इनकार कर दिया गया, जिनको मिल रहा था, उनका काट दिया गया। अब 17140 की विसंगति पैदा हो चुकी थी।

3- धरना प्रदर्शन, कोर्ट कचहरी व संघों की मांग के बाद मामले को सुलझाने के लिये तत्कालीन प्रमुख सचिव आदरणीय वृंदा स्वरूप ने  पत्रांक संख्या 795/10-2011 दिनांक 7 जून 2011 द्वारा केंद्र सरकार  के मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडेचर से छठे वेतन आयोग में पदोन्नति पर सीधी भर्ती के बराबर वेतन देने के प्रावधानों पर मार्गदर्शन मांगा।


4- इस पत्र के जबाब में मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडेचर केंद्र सरकार ने 8 अगस्त 2011 को तत्कालीन प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश श्रीमती वृंदा स्वरूप को दिए मार्गदर्शन में स्पष्ट रूप से कहा कि छठे वेतन आयोग में पदोन्नति पर किसी कार्मिक को सीधी भर्ती हेतु निर्धारित न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन दिए जाने की व्यवस्था छठे वेतन आयोग में नही है।

5- उक्त मार्गदर्शन के क्रम में शिक्षा अनुभाग 5 के पत्रांक संख्या 4028/79-5-2011-5/2010 दिनांक 23 दिसम्बर 2011 को एक आदेश जारी किया गया कि वर्तमान वेतन संरचना में पदोन्नति पर सीधी भर्ती हेतु निर्धारित वेतन की बराबरी करने की व्यवस्था नही है।

6- इस आदेश के बाद पूरे प्रदेश में 1 जनवरी 2006 के बाद ग्रेड वे 4600 पर पदोन्नत सभी शिक्षको का 17140 काट दिया गया।

7- उच्च न्यायालय में चल रहे 17140 के मांग वाले कानपुर, महराजगंज, देवरिया के केस को इसी मार्गदर्शन को आधार बनाते हुए या तो कोर्ट या अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिए गए। 

8- इसी आधार पर 15 अक्टूबर 2012 में कुशीनगर के अजीत कुमार सिंह व सुनील दुबे के केस का निस्तारण करते हुये प्रमुख सचिव वित्त (वेतन आयोग 2) ने 17140 की मांग को खारिज कर दिया था। 

9- मामला डबल बेंच में गया तो माननीय उच्च न्यायालय में शासन ने केंद्र के मार्गदर्शन दिनांक 8 अगस्त 2011 को काउंटर में लगाया और कहा कि केंद्र में ऐसी व्यवस्था ही नही है, इसलिये नही दिया जा सकता है।

10- इसके बाद खूब शोर शराबा हुआ।  शिक्षकों ने विकल्प के रास्ते 17140 की मांग उठाई।

11- विकल्प का रास्ता छठे वेतन आयोग के दायरे में था, लिहाजा उक्त विसंगति दूर करने के लिये 9 जून 2014 को विकल्प का आदेश निर्गत हुआ।

12- लेकिन 9 जून 2014 के विकल्प द्वारा 17140 का लाभ सबको  नहीं मिला क्योकि विकल्प का दायरा सिर्फ 8 दिसम्बर 2008 तक पदोन्नत लोगों तक ही सीमित था, क्योकि इसी तिथि को छठे वेतन आयोग के आदेश निर्गत किये गए थे। लिहाजा उस समय जो जिस ग्रेड पे पर था, उसे उस ग्रेड पे का न्यूनतम वेतन दे दिया गया। 

13- इसके बाद पदोन्नत होने पर छठे वेतन आयोग के पदोन्नति वेतन निर्धारण के शासनादेश संख्या 1318 दिनांक 2018 के प्रस्तर 11 के अनुसार मात्र 1 इंक्रीमेंट दिया जाने लगा। जबकि सीधी भर्ती पर न्यूनतम 17140 देय था जो सितम्बर 2015 में UPS सीधी भर्ती वालों को मिला।

14- कुशीनगर के डबल बेंच में गए शिक्षकों को 17140 मिल गया और डबल बेंच में मामला वैसे का वैसे ही राह गया।

15- उत्तर प्रदेश में ये विसंगति अब तक बरकार है, जबकि सितम्बर 2018 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों की ये विसंगति दूर कर दी है।

16- इस वेतन विसंगति के शिकार 1 दिसम्बर 2008 के बाद व जून 2015 के मध्य पदोन्नत बेसिक शिक्षक हैं। 

17- लेकिन वर्तमान में केंद्र सरकार के  उपरोक्त मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडेचर  की ओर से दिनांक 28 सितंबर 2018 पत्रांक संख्या 8-23/2017-E lllAके अंतर्गत आदेशित किया गया (अंतिम पैराग्राफ) कि, एक ही पद के लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम वेतन पदोन्नति पर नही दिया जा सकता।  

18- अतः जिस प्रकार  केंद्र  सरकार के मार्गदर्शन दिनाक 8-8-2011 के  पत्र अनुसरण में दिनाक 23 दिसम्बर 2011 का  आदेश जारी कर 17140 काटा गया था ,उसी प्रकार पुनः केंद्र के दिनांक 28 सितंबर 2018 के आदेश के अनुसरण में  राज्य  द्वारा भी 23 दिसम्बर 11 का आदेश बदलकर केंद्र के समान नया आदेश जारी किया जाना चाहिए।

19-  इस पूरे मामले की कुंजी केंद्र सरकार के मार्गदर्शन दिनांक 8 अगस्त 2011 व उसके पहले प्रमुख सचिव श्रीमती वृंदा स्वरूप के मार्गदर्शन मांग पत्र  *DO Letter No 795/10-2011 Date 07-06-2011* में है। 

20- लेकिन हाल में जनपद शाहजहांपुर की ओर से की गई  गई रिट संख्या 8649/2019 की माननीय न्यायालय द्वारा दिये गए आदेश की सुनवाई में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अनुभाग-5 संख्या अव-85/ 68-5-2020-69/2020 लखनऊ दिनांक 30 दिसम्बर 2020 द्वारा कहा गया है कि केंद्र का दिनांक 28 सितंबर का आदेश उत्तर प्रदेश में लागू नही  है अतः 17140 नही दिया जा सकता है।

21- ये तो दोहरी पॉलिसी है। एक तरफ 2012 में माननीय उच्च न्यायालय में सरकार केंद्र का 8 अगस्त 2011 का मार्गदर्शन हलफनामा में लगाकर 17140 देने से इनकार कर रही है, तो  दूसरी तरफ यह कहकर रिट खारिज कर रही है कि  केंद्र के वेतन प्रावधान राज्य में लागू नही हैं।

22- शाहजहाँपुर के केस के खारिज होने से एक नया रास्ता खुला है। हम लोग दुबारा कोर्ट जाएंगे,  अपील करेंगे कि हम लोग निस्तारण से संतुष्ट नहीं हैं।इस केस की संपूर्ण पैरवी मैंने ही की है।

23- पीड़ित शिक्षकों को चाहिए कि इस अन्याय को हर मंच पर उठावें। शिक्षक विधायक, माननीय मंत्री, सभी तक अपनी आवाज पहुचाएं, फिर मामला उछलेगा, चर्चा होगी। सोशल मीडिया पर भी इसको ट्विटर और फेसबुक पर दमदारी के साथ नियमित शेयर करें।

24- ये लड़ाई एक निर्णायक मोड़ पर है। यह मोड़ शाहजहांपुर के निस्तारण से शुरू होता है।

25- सुझाव है कि शाहजहाँपुर के केस को आगे करते हुये भविष्य की रणनीति के लिये सभी जिलों के पीड़ित शिक्षकों को एक होकर लड़ना पड़ेगा। तब सरकार निश्चय ही इस अपमानजनक विसंगति को दूर करेगी।

आपका 
ओम दत्त त्रिपाठी
 मुख्य याचिकाकर्ता
 17140 कौशाम्बी रिट