प्रदेश के 4500 से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम की अवशेष राशि का आवंटन भी अधिकारियों की लापरवाही के कारण बेकार पड़ा है। सरकार ने मई 2005 से अप्रैल 2016 तक 11 वर्ष के अवशेष कटौतियों की भरपाई के लिए 13 फरवरी 2019 के शासनादेश के जरिए क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की गई।
जिसमें अवशेष 11 वर्ष के सरकारी अंशदान, सरकारी अंशदान पर जीपीएफ की दर से ब्याज तथा मई 2016 से हुई कटौती को देरी से जमा कराए गए अंशदान पर जीपीएफ की
दर से ब्याज का आगणन करा कर जमा या निवेश कराने का आदेश हुआ।यह ब्याज 31 मार्च 2019 तक ही दिया जाना था। इसके लिए पिछले वित्तीय वर्ष के बजट में केवल सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लिए कुल 520 करोड रुपए का प्रावधान किया गया था। बजट में प्राविधानित यह धनराशि 20 फरवरी 2020 को
शासन ने अवमुक्त की गई। लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षकों की लापरवाही के कारण शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए आवंटित इस धनराशि का उपयोग नहीं किया गया और 31 मार्च को ग्रांट सरेंडर हो गई।
दो-चार जिलों को छोड़कर डीआईओएस कार्यालय ने शिक्षकों के एनपीएस अवशेष के आगणन का कार्य नहीं किया कि किस शिक्षक का कितना एनपीएस अवशेष बनता है। प्रयागराज में ग्रांट ली गई थी, लेकिन वह पैसा भी आज तक नवीन पेंशन योजना से आच्छादित 2025 शिक्षकों-कर्मचारियों में से किसी एक के खाते में ट्रांसफर नहीं हुआ।
न्यू पेंशन स्कीम
यूपी में एक अप्रैल 2005 को लागू हुई थी नई पेंशन योजना, मई 2016 से शुरू हुई थी कटौती 11 वर्षों के अवशेष कटौतियों की भरपाई एवं ब्याज के लिए मिले थे
520 करोड़ अधिकतर जिलों के डीआईओएस द्वारा धनराशि का उपयोग न करने से ग्रांट सरेंडर हो गई
<13 फरवरी 2019 के शासनादेश के द्वारा क्षतिपूर्ति की व्यवस्था और इसके लिए जारी किए गए 520 करोड़ रुपये शिक्षकों के
खाते में ट्रांसफर न हो पाने के लिए प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षक पूरी तरह से जिम्मेदार हैं, यह पूरी तरह मनमानी कर रहे हैं लेकिन उनकी जवाबदेही तय करने वाला कोई नहीं है जबकि हर शिक्षक का लाखों रुपए का प्रतिवर्ष का नुकसान हो रहा है
-लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट