##हकीकत##
प्राथमिक शिक्षा मे कहना आसान है कि शिक्षक पढाता नहीं है निजी संस्थानों में बेहतर पढाई होती है कभी आप प्राथमिक स्तर पर पढ़ रहे बच्चों के बारे में सोच कर देखें। वो किस पृष्ठभूमि से आते हैं घर पर दोनों समय का भोजन रहता है कि नहीं क्या उनके पास तन ढकने के लिए कपड़े हैं या नहीं या उसके अलावा परिवार का कोई और सदस्य पढ़ा लिखा है????? तो आपको समझ आएगा बेसिक शिक्षा .........आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ बच्चे विद्यालय केवल भोजन के लिए आते हैं कुछ के मां बाप बच्चों को विद्यालय इसलिए भेजते हैं कि उसके तन पर कपड़ा और जूते मोजे मिलेंगे।
एक शिक्षक परिश्रम करके किसी तरह उसे वर्णमाला का ज्ञान करा भी देता है तो अगले चार दिन बच्चा मां बाप के कार्य में हाथ बटाने के चक्कर में विद्यालय ही नहीं आता ,परिणाम स्वरूप वह जहाँ था वहीं फिर पहुंच चुका होता है।
यहां तक हमने देखा है कि बच्चों को जैसे ही थोड़ा सा लिखना पढ़ना आया कि बच्चों को प्राथमिक विद्यालय से नाम कटवा कर निजी विद्यालय पर लिखा दिया गया और फीस न जमा होने के कारण बच्चों को क्लास से बाहर निकाल दिया गया। पुनः बच्चा घर से निकलता तो प्राईवेट विद्यालय जाने हेतु लेकिन आता है प्राथमिक पर।
प्राथमिक शिक्षा पर कटाक्ष करने वालों से निवेदन है कृपया जमीन पर सच्चाई जानने का प्रयास करें तदुपरांत शिक्षकों पर दोषारोपण करें। प्राथमिक विद्यालय का बच्चा किस परिवेश से आता है उस पर मंथन करें तब निजी संस्थान की चमकती बिल्डिंग की तारीफ करें।