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#69K_चयनित_बिनोद_बनने_से_बचें
👉 कुछ लोगों को लगता है कि सरकार ने जल्दबाज़ी में 69000 भर्ती के 31K+ पद भरने के लिए तैयारी की है
ऐसा कदापि नही है आपकी हमारी बुद्धि से कहीं ज्यादा बुद्धिमान होते है राजनीतिज्ञ, वो कैसे ?
इसका जवाब है वैश्विक स्तर पर हुए एक सर्वे के अनुसार संसार के सबसे कुशाग्र मस्तिष्कों में वैज्ञानिकों के बाद द्वितीय स्थान पर होते है राजनीतिज्ञ , तो सोचिए विश्व का द्वितीय सबसे कुशाग्र मस्तिष्क क्या-क्या कमाल कर सकता है |
🔻 अब आते है अपने 69000 भर्ती के वर्तमान जटिल मुद्दे पर - 31K+ पदों पर भर्ती 👇👇
सरकार ने 31K+ पदों पर भर्ती की जिद पकड़कर चयनितों को 2 समूहों में बांटने के लिए पासा फेका जोकि उसके नजरिये से वर्तमान में एकदम सटीक बैठ रहा है|
वो कैसे ?
तो इसका जवाब है
सरकार चाहती थी 69K चयनित 2 गुटों में बंट जाए जो कि धीरे-धीरे चरितार्थ हो रहा है |
#सरकार_का_चयनितों_को_बांटने_का_कारण :-
1. रोजगार के मुद्दे पर मीडिया में और जमीनी स्तर पर सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना करने वाले 69K चयनित अभ्यर्थी|
2. संविदा के मुद्दे पर क्रांति की मशाल जलाने में सबसे अग्रणी रहने वाले 69K चयनित अभ्यर्थी|
👉 वर्तमान में 69K चयनित सरकार की आँखों की किरकिरी बन गए है जिन्होंने संविदा मुद्दे और रोजगार के मुद्दे पर सरकार की आम जनमानस की नज़रों में किरकिरी कराने में अहम योगदान दिया और विपक्षी पार्टियों को मुद्दों की संजीवनी बूंटी प्रदान की है |
👉 69K चयनितो की इसी एकता ने सरकार की नाक में दम किया हुआ था और इसी वजह इस एकता को तोड़ने के लिए सरकार ने 31K+ पद पहले भरने का ऐसा हंटर चलाया कि सभी चयनित अब इसी में उलझ कर सर्कस के पात्र बनकर रह गए है|
#अब_आपका_प्रश्न_होगा_इससे_सरकार_को_क्या_फायदा ?
1. संविदा का विरोध हुआ बंद (सरकार की परेशानी हुई कम) |
2. रोजगार के मुद्दे पर 69K चयनितों द्वारा सरकार को अब मुखर होकर घेरना होगा मुश्किल|
स्पष्ट तौर पर जो सरकार 69K भर्ती को लेकर बैकफुट पर थी वो अब फ्रंटफुट पर खेलेगी|
👉 चयनित अभ्यर्थियों का एक धड़ा 31K+ पद पहले भरने के समर्थन में खड़ा है और दूसरा धड़ा चाहता है 67867 एक साथ भरे जाए|
इसी वजह से सोशल मीडिया पर युद्ध जारी है 31K+ समर्थक और विरोधी दोनों के इसको लेकर अपने मत है|
👉 यद्यपि 31K+ लिस्ट में जो आ सकते है उनमें से 90% अभ्यर्थी यही चाहते है 67867 एकसाथ हो लेकिन सरकार ने ठान लिया है 69K भर्ती में से 31k+ की पहली खेप वो बेसिक में भेजकर रहेगी जिसके वजह से 36K+ जो बचेंगे उनमें से अधिकांश ने सरकार का विरोध करने की बजाए 31K+ का विरोध करना प्रारंभ कर दिया है जिससे 31K+ के समर्थक और बढ़ रहे है क्योंकि उनको लगता है कि सरकार से हमने मांग नही की कि 31K+ पद पहले भरे जाएं लेकिन सरकार पदों को भरने पर अड़ी है फिर भी हमारे ही साथी जिनके साथ हमने संघर्ष किया वो हमे रोकना चाहते है और पानी पी-पीकर बिना वजह हमको सुनाए जा रहे है जो कि उनके मन में अपने ही साथियों लिए वैमनस्य पैदा कर रहा है और 31K+ का समर्थन करने के लिए उनको आगे ला रहा है|
स्वाभाविक रूप से ऐसी परिस्थिति में चयनित साथी 2 गुटों में बटेंगे |
👉 अब इस सूरत में अगर सरकार 31K+ भर्ती कराती है तो जो लोग 31K+ नहीं होंगे वो इस प्रक्रिया को रोकने के लिए हर तरह से आगे बढ़ेंगे और भर्ती फिर कुछ महीने फंस सकती है क्योंकि भर्ती को रोकने का कार्य इसबार चयनित अभ्यर्थियों द्वारा होगा और इसका नुकसान सभी चयनितों को उठाना पड़ेगा|
🔻 अब अंत मे प्रश्न ये उठता है किया क्या जाए जिससे इस जटिल समस्या का समाधान हो -
👉 प्रयास यही होना चाहिए कि सोशल मीडिया को युद्ध का मैदान बनाने की बजाए 67867 एकसाथ कराने के लिए सरकार से निवेदन किया जाए और सुप्रीम कोर्ट से आर्डर जल्द निकलवाने के लिए सरकार और अपने स्तर से प्रयास किये जायें |
👉 इसके लिए सरकार के विधायकों और सांसदों को ज्ञापन सौंपकर अपनी बात रखी जा सकती है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से आर्डर के लिए त्वरित प्रयास करे और 69K भर्ती एकसाथ सम्पन्न कराये न कि 31K+ पदों पर भर्ती की तत्परता दिखाकर नए-नए विवादो को जन्म देने और चयनितों में खाई बांटने का काम करने में|
#नोट - 69K भर्ती के चयनितों की आवाज इस समय बहुत जल्दी सुनती है सरकार इसलिए अपनी मांग को सभी साथी अपने शब्दों में ज्ञापन सौंपकर आगे बढ़ाए और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाये न कि एकदूसरे से लड़कर उसको व्यर्थ जाने दे|
☝️☝️☝️☝️☝️☝️बहुत से साथी मेरा मत जानना चाहते थे तो स्वतंत्र रूप से अपनी लेखनी से मैंने सभी बातों को ऊपर स्पष्ट कर दिया है|
#गोविन्दखत्री