अनुदेशकों को 17000 मानदेय देने पर निर्णय लेने में देरी पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र प्रसाद तिवारी को अवमानना का नोटिस
*प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर.*
चीफ सेक्रेटरी राजेंद्र प्रसाद तिवारी को अवमानना नोटिस जारी,
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस,
हाईकोर्ट ने पूछा क्यों न शुरू की जाए अवमानना की कार्रवाई,
कोर्ट ने परियोजना डायरेक्टर से भी पूछा क्यों न किया जाए दंडित,
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों के मानदेय को लेकर दाखिल है अवमानना याचिका,
कोर्ट ने मार्च 2017 से 17000 अनुदेशकों को मानदेय देने का दिया था आदेश,
कोर्ट के आदेश का अनुपालन न होने पर दाखिल की गई है दूसरी बार अवमानना याचिका,
कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को वकील के माध्यम से स्पष्टीकरण पेश करने का दिया आदेश,
याची आशुतोष शुक्ला की याचिका पर अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने की बहस,
23 नवंबर को हाईकोर्ट में होगी मामले की अगली सुनवाई,
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने दिया आदेश।
प्रयागराज। अनुदेशकों को केंद्र सरकार द्वारा घोषित मानदेय देने पर निर्णय लेने में देरी पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र प्रसाद तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें कोर्ट की अवमानना के लिए दंडित किया जाए। कोर्ट ने 23 नवंबर तक जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम्रके गुप्ता ने भदोही के अनुदेशक आशुतोष शुक्ल की अवमानना याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि अनुदेशक को मानदेय के रूप में आठ हजार रुपये दिए जा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार ने मानदेय बढ़ाकर 17 हजार प्रतिमाह कर दिया है। राज्य सरकार इस आदेश का पालन नहीं कर रही है, जिसपर याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार के आदेश का पालन करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका पर कोर्ट ने छह हफ्ते में पालन का निर्देश दिया। फिरभी अवहेलना की गई तो दोबारा यह याचिका दाखिल की गई है।