माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे टीईटी पास शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई पूरी होकर आर्डर रिजर्व हो गया है जिसमें माननीय हाईकोर्ट के सिंगल बेंच से टीईटी पास शिक्षामित्रों के हक में 40%-45%पर रिजल्ट जारी करने का ऑर्डर हुआ था उसके बाद राज्य सरकार द्वारा डबल बेंच से उस आर्डर को खारिज करवाया गया और माननीय सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आर्डर को बाहल कराने के लिए योजित याचिका पर सुनवाई जारी थी, ध्यान देने योग्य बात यह है कि टीईटी पास शिक्षामित्र हाईकोर्ट से मजबूत पैरवी करके सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी कर रहे हैं और माननीय जज महोदय द्वारा उस योजित याचिका में कुछ सकारात्मक टिप्पणी किए गए हैं जिससे टीईटी पास शिक्षामित्रों के हक में फैसला आने की प्रबल संभावना है और उसी याचिका के माध्यम से कई लोग नानटेट शिक्षामित्रों के हक में फैसला करवाने के लिए प्रयासरत हैं यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नानटेट शिक्षामित्रों के हक में कोई सकारात्मक फैसला नहीं आता है तो नानटेट शिक्षामित्र जो 124000 के अंतर्गत आते हैं वह लोग माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं उच्च न्यायालय की शिक्षा मित्रों के प्रति ऑर्डर के परिप्रेक्ष्य में अपने हक में फैसला लेने के लिए नए सिरे से हाईकोर्ट में लड़ाई निम्न आधार पर लड़े तो कुछ सकारात्मक परिणाम मिल सकता है --
1- न्यायालय द्वारा कहा गया है कि शिक्षामित्रों के पास अपेक्षित योग्यता नहीं है इसलिए इनका समायोजन निरस्त किया जाता है
जबकि आरटीई एक्ट 2009 लागू होने के पहले सहायक अध्यापक बनने की प्रक्रिया स्नातक+ बीटीसी थी और आरटीई एक्ट 2009 लागू होने के बाद सहायक अध्यापक बनने की प्रक्रिया स्नातक +बीटीसी+टीइटी किया और इसी आरटीई एक्ट का हवाला देते हुए समायोजन निरस्त किया गया जबकि इसी आरटीई एक्ट के तहत 124000 शिक्षामित्रों को अपेक्षित योग्यता पूरी करने के लिए एनसीटीई द्वारा ही 31 मार्च 2015 तक का समय दिया गया और उस समय के दौरान 124000 समायोजित शिक्षामित्र अपेक्षित योग्यताएं अर्जित की हैं
2- माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आर्डर में लिखा है कि 124000 का मामला विवादित नहीं है तो फिर 124000 समायोजित शिक्षामित्रों का समायोजन 178000 संख्या के मद्देनजर क्यों निरस्त किया जाता है या जो अपेक्षित योग्यताएं पूरी करते थे उनको भी क्यों हटा दिया जाता है।
3- हाई कोर्ट ने अपने आदेश पैरा 28 में लिखा है कि शिक्षामित्र 23-8- 2010 की अधिसूचना में नहीं जाते हैं, जबकि 124000 शिक्षामित्रों को 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के तहत ही अपेक्षित योग्यता अर्जित करने के लिए 31 मार्च 2015 तक का समय दिया गया और इस दौरान सभी लोग प्रशिक्षित होकर अपेक्षित योग्यताएं अर्जित की। 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना एनसीटीई द्वारा ही बनाई गई और एनसीटीई न ने ही 124000 स्नातक शिक्षा मित्र को 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से पहले नियुक्त अनट्रेंड टीचर मानते हुए ट्रेंड होने के लिए 31 मार्च 2015 तक का समय दिया तो फिर 124000 शिक्षामित्रों पर 23 अगस्त 2010 के बाद की नियुक्ति का नियम क्यों लागू होता है
4- हाईकोर्ट ने पैरा 29 में लिखा है कि शिक्षामित्र की नियुक्ति शिक्षकों के समान नहीं थी और इनका पद संविदात्मक था, यह नियमित शिक्षक की तरह कार्य नहीं करते थे
जबकि शिक्षामित्रों की नियुक्ति छात्र शिक्षक अनुपात पूरा करने के लिए ही 11 माह के संविदा पर रखा गया था लेकिन 2007 के बाद संविदा का पद समाप्त करते हुए नियमित शिक्षक की तरह प्रत्येक वर्ष 11 माह के लिए रखा गया और सभी कार्य शिक्षक की तरह करते रहे यहां तक की एक ही रजिस्टर पर शिक्षामित्र और शिक्षक हस्ताक्षर भी करते रहे, जब अध्यापक को किसी कार्य बस बीआरसी या अन्य कार्य से बाहर जाना पड़ता था तो शिक्षण कार की जिम्मेदारी देते हुए पत्र व्यवहार पर भी अंकित करते थे।
5- हाई कोर्ट में पैरा 30 में लिखा है कि शिक्षामित्र धारा 30(2) के तहत लाभ पाने के लिए छूट के हकदार नहीं है क्योंकि इनकी नियुक्ति शिक्षक के समान नहीं हुई है
जबकि राज्य सरकार और एनसीटीई ने धारा 30(1) के तहत योग्यता पूरी करने वाले स्नातक शिक्षा मित्र को अनट्रेंड टीचर मानते हुए ही धारा 30(2) के तहत योग्यता अर्जित करने के लिए 3१ मार्च 2015 तक समय निर्धारित किया और उस दौरान यह सभी योग्यता अर्जित किए तो फिर कैसे धारा 30(2) के तहत योग्यता अर्जित करने के लिए वैध नहीं है
6- पैरा 31 में हाईकोर्ट लिखा है कि हमारे पास 178000 को नियमित करने का दावा है और दूसरी तरफ कानून और शासन बनाए रखने का कर्तव्य है यदि सभी 178000 लोग अपेक्षित योग्यता पूरी नहीं करते थे लेकिन जो 124000 अपेक्षित योग्यताएं पूरी करते थे तो अपने कर्तव्य का पालन करते हुए इनके अधिकारों के हनन को रोकने के लिए इन के हक में 23 अगस्त 2010 के आधार पर फैसला सुनाते और जो लोग अपेक्षित योग्यता नहीं पूरी करते थे उनको 23 अगस्त 2010 के अधिनियम के तहत अध्यापक बनने के लिए राज्य सरकार को सलाह देते लेकिन कोर्ट के द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
*निवेदक:-*
*आगरा जनपद से-*
मदन गोपाल 9808613471, मुकेश समधिया 7248243319, सुरेश कुमार 8410831193, प्रमोद कुमार 99178 44405
*बस्ती जनपद से-*
आदित्य नारायण पाण्डेय 9839162820, वीरेंद्र प्रताप सिंह 9919778310, रसीद अहमद 9918313452, जालंधर प्रसाद 9792943202, सुरेन्द्र सिंह 7355956796, मो० खालिद।
*श्रावस्ती जनपद से-*
रमेश शुक्ला
*इटावा जनपद से-*
वीरेंद्र सिंह 7217321054
*लखनऊ जनपद से-*
सुनीता देवी 9198932411
*बदायूं जनपद से-*
धर्मेन्द्र सिंह 8433092382