-: आज की बेसिक शिक्षा व्यवस्था के नाम एक खुला पत्र:-
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प्रिय व्यवस्था
सादर नमस्कार
बचपन में मैंने शासन व्यवस्था से असन्तुष्ट कुछ प्रबुद्ध महानुभवों को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से खुला पत्र लिखकर शासन व्यवस्था में हो रही कमियों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए देखा था और तत्कालीन संवेदनशील सरकारों ने उन कमियों को दूर करने के तत्काल प्रयास भी किये।
पत्र लिखने का प्रमुख कारण मेरे कुछ साथी आज बेसिक शिक्षा के नित नये आदेशों के कारण डिप्रेशन में आ चुके हैं यद्यपि जो जो साथी और बहिनें सम्पर्क में आई उनको धैर्य धारण कराया किन्तु यह सोचकर कि समस्या स्थानीय स्तर की नही अपितु प्रदेश स्तर की है और मैं वर्तमान मे प्रदेश के किसी संगठन का ब्लॉक /जिला/प्रदेश स्तर का पदाधिकारी नहीं हूँ अतः संगठन के लेटर पैड पर कोई माँग रख सकूँ।
अतः बेसिक शिक्षा की व्यवस्था को खुला पत्र लिखा। मेरा यह मन्तव्य है कि संवेदनशील सरकार वर्तमान में बेसिक शिक्षा में चल रही कुछ कमियों को दूर करने का प्रयास करेगी ऐसी मेरी धारणा है।
शिक्षक पर इतना लोड है कि शिक्षक मानसिक रूप से डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। कितने लोड हैं शिक्षक
पर देखो:-
1-smc तथा vec के बैंक खातों की अवशेष धनराशि neft द्वारा भेजने में शिक्षक की बैंकों में अनावश्यक भाग
दौड़ का लोड।( जबकि vec खाते 2012 से ही बन्द है तब से अधिकांश ग्राम प्रधान व प्रधान अध्यापक बदल चुके है)
2-विभाग द्वारा किये जाने वाले मानव सम्पदा पोर्टल पर स्वयं का डाटा फ़ीड करने का लोड। (लाॅड के कारण सर्वर कार्य नही करता।)
3-छात्रों को ऑन लाईन पढ़ाई कराने का लोड।
4-छात्रों के अभिभावकों से घर-घर जाकर दीक्षा ऐप्प डाउन कराने का लोड।( जिन छात्रों को पाठ्य पुस्तकें, जूते- मौजे, खाना, स्वेटर सरकार द्वारा उपलब्ध करवाना पड रहा हो उनके घर एण्ड्रोड फोन कहाँ उपलब्ध होंगे )
5-कन्वर्जंन कास्ट को बैंकों के माध्यम से एक्शल शीट बनाकर बच्चों के अभिभावक के खाते में भेजने का लोड।
6-खाद्यान्न को बांटने हेतु भी एक्शल शीट बनाकर उन्हें वितरित करने का लोड।
7-अपनी योग्यता के ओरिजिनल प्रमाण पत्रों को अपलोड करने का लोड।
8-अब गूगल के माध्यम से प्रशिक्षण की अनिवार्यता का लोड।
9-स्कूलों के कायाकल्प में प्रधान पर दबाब बनाने का लोड।(प्रधान कहता है चुपचाप अपना काम करो।)
10-कम्पोजिट ग्रांट से अपने विध्यालय में कराये जाने वाले कार्यों का लोड।
सभी आदेशों को पूरा करने हेतु शिक्षक कभी साइबर कैफे में भागदौड़ करता है तो कभी बैंकों की ओर भाग रहा है।अपने विद्यालय की ड्यूटी भी कर रहा है।कभी
प्रशिक्षण के लिये भी समय निकाल रहा है सभी आदेशों को पूरा करने की कोशिश में लगा हुआ है। एक आदेश पूरा नहीं होता तबतक दूसरा आदेश आ जाता है। साईबर कैफे में,अपने मोबाइल में इन्टरनेट में भी स्वयं पैसा खर्च कर रहा है।कई शिक्षक एंड्रॉइड फोन चलाना तक नहीं
जानते। लिंक पर साइट नहीं खुलती। पासवर्ड का पता नहीं चलता। कई शिक्षकों के मोबाइल भी खराब हो गये।
वेतन रोकने की धमकी। लाॅकडाउन में social
distance का पालन। शिक्षक को clerk (बाबू) बना दिया। शिक्षक तो शिक्षक है बाबू का काम कैसे कर सकता है?कम्प्युटर का ज्ञान नहीं है। इसलिये सब लेटलतीफी हो रही है। लाचार शिक्षकों की दशा चिन्तनीय हो गयी है।
distance का पालन। शिक्षक को clerk (बाबू) बना दिया। शिक्षक तो शिक्षक है बाबू का काम कैसे कर सकता है?कम्प्युटर का ज्ञान नहीं है। इसलिये सब लेटलतीफी हो रही है। लाचार शिक्षकों की दशा चिन्तनीय हो गयी है।
सो हे व्यवस्था इन निरीह शिक्षकों पर कुछ दया करों।
भवदीय
बेसिक शिक्षा परिषद् उ0प्र0 के निरीह शिक्षकगण