आज से लगभग *4 वर्ष पूर्व* बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का सेवा विवरण ऑनलाइन किये जाने हेतु *मानव सम्पदा पोर्टल पर फीडिंग* का कार्य प्रारंभ किया गया था।
17 पेज का ढेर सारी सूचनाओं से लदा हुआ एक फॉर्म (जिसके प्रिंटआउट का खर्च शिक्षकों द्वारा वहन किया गया) पूरे प्रदेश में भरवाया गया फिर शुरू हुआ उसकी डाटा फीडिंग का कभी न खत्म होने वाला सिलसिला जो आज 4 साल बाद भी जारी है।
मानव सम्पदा फॉर्म के शुरुआती आदेश एवं उसकी रूपरेखा से यह स्पष्ट होता है कि *उक्त फॉर्म शिक्षक द्वारा भरे जाने के बाद खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा सेवा पुस्तिका से मिलान कर फीड/वेरिफाई किये जाने हैं।*
सालों साल तक यह कार्यवाही चलने के बाद भी शुद्ध डाटा फीड नहीं हुआ लेकिन *ब्लॉक कार्यालय के किसी ज़िम्मेदार बाबू का वेतन न रुका!*
अब आज के नवाचारी युग में एक नवीन प्रकार का आदेश आया जिसके अनुसार *अध्यापकों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनसे न केवल सेवा विवरण सम्बन्धी डाटा वेरिफाई कराया जा रहा बल्कि अनुपालन न होने पर वेतन रोकने की चेतावनी भी दी जा रही है।*
लाखों शिक्षकों से ऑनलाइन गूगल फॉर्म भरवाकर सत्यापन कराए जा रहे लेकिन *क्या उनमें से हजारों ने भी कभी अपनी सेवा पुस्तिका एवं उसकी अपडेटेड प्रविष्टियों को देखा है??*
*_बिना सेवा पुस्तिका देखे सेवा विवरण का सत्यापन कुछ इस प्रकार ही है जैसे बिना ओरिजिनल डॉक्यूमेंट देखे फोटोकॉपी को प्रमाणित कर देना।_*
बिना सेवा पुस्तिका के प्र0अ0 / अध्यापक किस प्रकार अपने सेवा विवरण को क्रॉस चेक कर सकता है??
शिक्षक साथी अवगत हों कि इस प्रकार बिना सेवा पुस्तिका देखे उसका डेटा वेरिफाई कर देना वैधानिक कार्यवाही नहीं है।
अतः विश्लेषणानुसार मानव सम्पदा पर शुद्ध डाटा फीड करने सम्बन्धी महत्वपूर्ण कार्य हेतु _सर्वप्रथम ब्लॉक कार्यालय से सेवा पुस्तिका की प्रमाणित प्रति उपलब्ध होनी चाहिए जिससे कोई शिक्षक अज्ञानता में गलत जानकारी वेरिफाई करने का भागी न बने।_
*आगे आप सबकी मर्जी मैन आप सबको सचेत कर दिया है*
इस मसले पर न तो हमारे शिक्षक संघ कुछ बोल रहा न ही कोई शिक्षक ही।
✍️ *आशिक इक़बाल पूर्व माध्यमिक विद्द्यालय मझवां मिर्ज़ापुर*