21 June 2020

कोई टीचर समझता है कोई .......बेचारा अध्यापक😥😥😥😥😥😥😥😥 यही रोकर समझता है।😀😀😀😀


कोई टीचर समझता है
कोई जोकर समझता है।
गली का श्वान भी हमको
निजी नौकर समझता है।
चलूँ जब थाम कर थैला
फटीचर बन के गलियों में,
समझता है कोई पागल
कोई बेघर समझता है।
सभी हाक़िम हमीं से अब
खिलौना जानकर खेलें,
ख़ुदा ये दर्द क्यों मेरा
बड़ा कमतर समझता है।
मिली है ख़ाक़ में इज़्ज़त
गई तालीम गड्ढे में,
जुदा होकर हमारे से
क़लम डस्टर समझता है।
बड़े उस्ताद बनते थे
चले थे राह दिखलाने,
ज़माना ही हमें अब
राह की ठोकर समझता है।
सियासी खेल में बुनियाद ही
कमज़ोर कर बैठे,
न ये नेता समझता है
न ही वोटर समझता है।
बहे जाओ इसी रौ में,
न कर निर्दोष तू शिकवा
हमारा दिल ये बेचारा


बेचारा अध्यापक,,,,😥😥😥😥😥😥😥😥
यही रोकर समझता है।😀😀😀😀