69000 शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लचर पैरवी से अभ्यर्थियों में फैला असंतोष


उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों (Primary Schools) के लिए हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती (69000 Assistant Teachers Recruitment) में बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) के अधिकारियों की लचर पैरवी से अभ्यर्थियों में असंतोष है. शिक्षक भर्ती से जुड़े अभ्यर्थियों ने विभागीय अधिकारियों पर मामले को टाले रखने का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई है. अभ्यर्थियों का कहना है कि यह भर्तियां भले ही सरकार की साख हैं, लेकिन अधिकारियों की गलत ब्रीफिंग से वजह से यह मामला दो साल से खिंचता चला जा रहा है.


आरोप है कि शिक्षामित्रों के 37339 पदों को होल्ड किए जाने को लेकर सरकार की ओर से पुनः मॉडिफिकेशन कराने और पूरे 69000 पदों पर भर्ती के लिए 17 जून को फाइल किया. 19 जून को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश के एएजी ने 21 मई के आदेश पर ही मॉडिफिकेशन करने कि बहस कर डाली. जबकि वास्तविकता में 9 जून को मॉडिफिकेशन करवाना था जिसमें कि 37339 पदों को होल्ड करने कि बात कही गई है.


इस पर बीएड लीगल टीम के एओआर सतीश पांडेय ने भी अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन कोर्ट उसके पहले ही एएजी की गलत बहस से भ्रमित हो गई थी. 19 जून को सुनवाई के दौरान सरकार की एएजी (AAG) ऐश्वर्या भाटी ने 21 मई के बजाय 9 जून की मॉडिफिकेशन अपील पर सुनवाई की बात करती तो शायद सरकार को राहत भी मिल जाती और भर्ती जल्द से जल्द पूरी हो जाती. डबल बेंच के आदेश के बाद सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर तेजी दिखाई थी. शिक्षामित्रों ने जब सर्वोच्च न्यायालय में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, तो सरकार ने तेजी दिखाते हुए भर्ती को आगे बढ़ाना चाहा.

बता दें कि सरकार की अपील पर 21 मई को न्यायमूर्ति ललित ने भर्ती को डबल बेंच के आदेश पर आगे बढ़ाने का आदेश किया. वहीं 40/45 पर शिक्षामित्रों का डाटा आगामी 6 जुलाई को कोर्ट में लाने का आदेश दिया. लेकिन शिक्षामित्रों ने भर्ती रोकने के लिए जिससे पहले ही 9 जून को मॉडिफिकेशन अपील फाइल की. अपील पर कोर्ट को ग़लत तथ्य बताते हुए शिक्षामित्रों के 37339 पदों को रोकने का आदेश जारी करवा लिया