कल 69000 भर्ती का आदेश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित किया गया है अतः निम्न बिंदुओं पर आदेश को देखते हैं
1- माननीय उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि सहायक अध्यापक पात्रता परीक्षा 2018 एवं सहायक अध्यापक परीक्षा 2019 को एक दूसरे के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता है|
2- सहायक अध्यापक पात्रता परीक्षा 2019 यह एक बहुविकल्पी परीक्षा थी जिससे इसे 2018 की परीक्षा एवं सहायक अध्यापक परीक्षा 2019 से तुलना नहीं किया जा सकता|
3- माननीय उच्च न्यायालय ने झारखंड लोक सेवा आयोग एवं झारखंड पात्रता परीक्षा का भी उदाहरण दिया है की यहां शिक्षा मित्रों के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा यह समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है|
4- उन्होंने यह भी उल्लेखित किया की खेल के बीच में नियम नहीं बदले गए हैं इसलिए राज्य सरकारों को मानक तय करने का अधिकार है|
5 - चुकी शिक्षा मित्रों को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार समान रूप से आगामी दो भर्तियों में प्रतिभाग करने का अवसर दिया जाएगा वह दिया जा रहा है इसलिए यह बिंदु कतई न्याय संगत नहीं प्रतीत होता की उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है राज्य सरकार ने उनके अध्यापन वर्ष के लिए 2.5 अंको का प्रावधान दिया है जोकि उनकी समय एवं स्थिति को मजबूत करता है|
6- माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी उल्लेखित किया म्युनिसिपल कॉरपोरेशन दिल्ली बनाम सुरेंद्र सिंह एवं झारखंड लोक सेवा आयोग बनाम मनोज गुप्ता के केसों का उदाहरण देकर उन्होंने राज्य को गुणवत्ता एवं मानक निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र माना है इसलिए 60 , 65 %प्रतिशत को ही को सही ठहराया है|LMM