69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले पर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, सामान्य 65% व आरक्षित वर्ग 60% अंक पाकर होंगे परीक्षा में उत्तीर्ण
यूपी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में होने वाली 69000 शिक्षक भर्ती के कटऑफ अंक /पासिंग मार्क्स मामले का केस हाईकोर्ट की लखनऊ में लंबित था जिस हाईकोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना दिया. कोर्ट ने भर्ती को 03 माह के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया है. यूपी सरकार द्वारा 07 जनवरी 2019 को तय किए गए भर्ती परीक्षा के मानकों 90/97 पर न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की अध्यक्षता वाली लखनऊ खंड पीठ की बेंच अपनी मोहर लगा दी है. इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया की तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाये. हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार अब भर्ती परीक्षा के रिजल्ट में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65% और अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60% अंक पाकर उत्तीर्ण होंगे।
आपको हम यह भी बता दें कि लखनऊ हाईकोर्ट ने 69 हजार भर्ती मामले पर लंबी सुनवाई के बाद विगत 03 मार्च 2020 को अपना आर्डर रिजर्व कर लिया था. प्राथमिक स्कूलों की यह भर्ती कटऑफ अंक(पासिंग मार्क्स) पर विवाद होने के कारण लगभग डेढ़ वर्ष तक कोर्ट में फंसी रही.
इस 69000 पदों की भर्ती के इंतजार में तकरीबन 4 लाख से अधिक अभ्यर्थी कोर्ट के ऑर्डर की आस लगाए बैठे थे. आज कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए शासन द्वारा निर्धारित मानकों को सही माना है।जिससे अभ्यर्थियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ के न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की बेंच ने याची सर्वेश प्रताप सिंह व अन्य की याचिका पर यह फैसला सुनाया है।
बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के 69000 पदों भर्ती के लिए 05 दिसंबर 2018 सरकार द्वारा शासनादेश जारी किया गया था. जिसके तहत भर्ती के पात्र अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। इसमें पात्र और इच्छुक अभ्यर्थियों ने 6 से लेकर 20 दिसंबर 2018 तक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किए थे.
ऑनलाइन माध्यम से इस शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए कुल 4,31,466 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण किया था. शासनादेश और अपने पूर्व निर्धारित समय पर भर्ती हेतु लिखित परीक्षा का आयोजन छह जनवरी 2019 हुआ. यह परीक्षा यूपी के 800 परीक्षा केंद्रों पर नियमानुसार ढंग से करायी गई. 4,10,440 परीक्षार्थी इस परीक्षा में शामिल हुए थे. अन्य 21,026 परीक्षार्थियों ने यह परीक्षा नहीं दी. परीक्षा के एक दिन बाद परीक्षा उत्तीर्ण करने हेतु कटऑफ अंक निर्धारण सम्बन्धी शासनादेश शासन द्वारा जारी किया जोकि विवाद की जड बन गया.
आखिर क्या था भर्ती में विवाद?
शासन द्वारा जब भर्ती संबंधी विज्ञापन जारी किया गया तो उसमें उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम कटऑफ अंक की कोई बात नहीं की गई थी या कटऑफ कितना होगा इसका भी जिक्र विज्ञापन में नहीं था.
सरकार ने लिखित भर्ती परीक्षा के ठीक अगले दिन यानि 07 जनवरी 2019 को न्यूनतम उत्तीर्णांक निर्धारित करने की घोषणा कर दी. और इस आदेश में कहा गया कि-
सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को पूर्णाक 150 में से 97 अंक अर्थात 65 प्रतिशत एवं अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को “सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019" हेतु उत्तीर्ण माना जायेगा।सरकार के इस कटऑफ अंक के आदेश को लेकर परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, जिस पर चली लम्बी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। जिसे आज दिनांक 06 मई 2020 को कोर्ट ने सुनाया है. और सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है.
तथा अन्य समस्त आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को पूर्णांक 150 में से 90 अंक अर्थात 60 प्रतिशत एवं अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को “सहायक अध्यापक 2019" में उत्तीर्ण माना जायेगा।
अभ्यर्थियों की यह थी मांग
अभ्यर्थियों की यह मांग थी कि विगत 68,500 शिक्षक भर्ती जिस कटऑफ पर हुई थी उसी कटऑफ पर 69 हजार शिक्षक भर्ती को किया जाए. हम आपको जानकरी दे दें कि 68500 शिक्षक में सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 45 व आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसद कटऑफ अंक निर्धारित किया गया था।
लेकिन इसमें से कुछ अभ्यर्थी पुरानी भर्ती कटऑफ अंक लागू करने की मांग कर रहे थे तथा कुछ अभ्यर्थी शासन की ओर से जारी कटऑफ अंक के समर्थन में थे. तो आज के इस फैसले में जो सरकार द्वारा लगाई गई कटऑफ के समर्थन में थे उन्हें जीत मिली है.