69000 शिक्षक भर्ती- ट्रैंड बीटीसी बनाम ट्रेनी बीएड
*भूतलक्षी/पूर्वव्यापी (Retrospective) संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला*
पूर्व के कई निर्णयों में Retrospective amendment को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार देते हुए फैसला जारी किया गया है। जो अपने आप में सरकार द्वारा क्रमशः 23वें, 24वें, 25वें संशोधनों के विरुद्ध एक नजीर है। साथियों हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के एक मामले *CHEBROLU LEELA PRASAD RAO & ORS V/S STATE OF A.P. & ORS.* पुनः Retrosprctive amendment पर सुप्रीम फैसला पारित किया है...जिसमे 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने आन्ध्रप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती में 10 जनवरी 2000 के उस संशोधन और संशोधन के नियमों को quash कर दिया, जिसे राज्य के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा Retrospective effect से 5 नवम्बर 1986 से लागू किया जा रहा था। ऐसी ही कई नजीरें सरकार द्वारा 69k में Retrospective amendment के विरुद्ध तैयार रखी हैं...अक्सर 69k में बीएड के पैरवीकार कहते नजर आते हैं कि....सरकार को रूल अमेंड करने का अधिकार है तो बिल्कुल सरकार ही रूल बना सकती है...लेकिन बैकडेट से नही...ये तो साफ साफ बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 के पैरा 19(2) में दिया हुआ है की राज्य सरकार जो भी संशोधन करेगी वो गजट में प्रकाशित होने के दिनाँक से ही वैध माना जाएगा, इसलिए अपने लोगों को बरगलाना बन्द करके 1972 का अधिनियम देखने की सलाह दीजिये। ध्यान रहे 1972 एक्ट, उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के नियोजन का वही मूलभूत संवैधानिक ढांचा है, जिसका 19(1) प्रयोग करके राज्यपाल बेसिक शिक्षा सेवानियमावली-1981 का संशोधन करते हैं। इससे आगे चलें तो 1973 में केशवानंद भारती जजमेन्ट में 13 जजों की पीठ ने संवैधानिक मूल ढांचे में परिवर्तन को सिरे से खारिज कर दिया था।
आप सभी बीटीसी साथियों को बीएड विरोधी टीम लखनऊ उच्च न्यायालय यह भरोसा दिलाती है, की 69k के एक एक पद पर पहला अधिकार ट्रेंड बीटीसी का ही होगा। धन्यवाद।
*बीएड विरोधी टीम लखनऊ हाईकोर्ट*